नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में साझा विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन होगा? ये बड़ा सवाल बना हुआ है. इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कहा है कि वह तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाए जाने के खिलाफ नहीं हैं. देवगौड़ा इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने पर अपनी हामी भर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि कर्नाटक में हम कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे हैं. ऐसे में हमें राहुल गांधी की उम्मीदवारी स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के चेहरा के रूप में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख का समर्थन करेंगे, देवगौड़ा ने कहा, ‘‘यदि ममता को प्रधानमंत्री के तौर पर प्रायोजित किया जाता है, तो उनका स्वागत है. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में 17 साल तक शासन किया. सिर्फ हमे (पुरूषों को) ही प्रधानमंत्री क्यों बनना चाहिए ? ममता या मायावती को क्यों नहीं?’’ देवगौड़ा ने संकेत दिया कि वह किसी महिला प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं हैं. उन्होंने 1996 में संसद में महिला आरक्षण विधेयक का मार्गदर्शन किया था.
देवगौड़ा (85) की यह टिप्पणी उन खबरों के मद्देनजर आई है, जिनमें कहा गया था कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का मुद्दा चुनाव बाद के लिए छोड़ना चाहती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि चुनाव से पहले इस विषय को उठाया गया तो विपक्ष की एकता को नुकसान पहुंच सकता है.
देवगौड़ा की पार्टी जद (एस) ने कर्नाटक में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष को एकजुट करने में कांग्रेस एक अहम भूमिका निभाएगी.
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पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरा मोर्चा का गठन अपने शुरूआती दौर में है और ममता सभी गैर बीजेपी पार्टियों को एक साथ लाने के लिए अपनी ‘सर्वश्रेष्ठ कोशिश’ कर रही हैं. देवगौड़ा ने 1996 में जनता दल नीत संयुक्त मोर्चा की सरकार का नेतृत्व किया था. हालांकि, उनका कार्यकाल साल भर से अधिक नहीं रहा था.
उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि जद (एस) ने क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट करने की अभी तक कोई कोशिश नहीं की है. हालांकि, उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियां बीजेपी का मुकाबला करने के लिए अन्य पार्टियों से सहयोग करने को तैयार हैं. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है कि देश में डर की भावना है. उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में अल्पसंख्यकों के लिए दमघोंटू माहौल है. 2019 में भाजपा का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत मोर्चा की जरूरत है. ’’
उन्होंने कहा कि भाजपा के एक राजनीतिक विकल्प के लिए कोशिश धीरे - धीरे जोर पकड़ेगी. एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस को भी एक अहम भूमिका निभानी होगी. पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं देखना चाहुंगा कि अगले दो - तीन महीने में चीजें कैसे आकार लेती हैं.’’ देवगौड़ा ने इस बात का भी जिक्र किया कि कांग्रेस और उनकी पार्टी 2019 का आम चुनाव कर्नाटक में साथ मिल कर लड़ेंगी. हालांकि, सीट बंटवारे के मुद्दे पर अब तक चर्चा नहीं हुई है. कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें हैं.
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