अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने सोमवार को यह ऐलान किया है कि इसकी कोविड-19 वैक्सीन 95.5 प्रतिशत प्रभावी है. जबकि इससे पहले, अमेरिका और जर्मनी की तरफ से संयुक्त रूप से डेवलप किए जा रहे फाइजर और BioNTECh ने भी इससे पहले इसी तरह का ऐलान किया था. इन दोनों ही वैक्सीन ने तीसरे चरण में परीक्षण के दौरान बेहतर नतीजे दिए हैं और नियामक की मंजूरी के बाद दिसंबर में लोगों को वैक्सीन की खुराक देने का काम शुरू किया जा सकता है.


एक तरफ जहां मॉडर्ना और फाइजर-बायोटेक ऐसे दो हैं जिन्होंने इस बात की घोषणा की है कि बड़े पैमाने पर किए गए तीसरे चरण के परीक्षण के दौरान नतीजे सफल रहे, अभी कम से कम 10 ऐसी वैक्सीन हैं जो जिनका अंतिम परीक्षण किया जा रहा है.


फाइजर की स्टडी करने वाले एक स्वतंत्र पैनल कहा कि उन्होंने पाया है कि कोविड-19 की रोकथाम में यह वैक्सीन 90 फीसदी प्रभावी है. इसी तरह की स्टडी मॉडर्ना को लेकर की गई और इसमें उसे 94.5 फीसदी तक कारगर पाया गया.


यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की बेंचमार्क के तहत मंजूरी के लिए 50 फीसदी कारगर होना जरूरी होता है, ऐसे में दोनों को रेगुलेटरी अप्रुवल मिलना तय है. अब तक ट्रायल के दौरान सुरक्षा को लेकर कोई चिंता सामने नहीं आई है और दोनों ही कंपनियों की तरफ से आपतकालीन मंजूरी की मांग की जाएगी.


अमेरिका ने दोनों से ही 10 करोड़ वैक्सीन के ऑर्डर दे दिए हैं. फाइजर कनाडा, यूके और जापाना के अलावा यूरोपीय संघ को 30 करोड़ वैक्सीन की आपूर्ति करने पर राजी हो गया है.


भारत के लिए कौन सी वैक्सीन बेहतर?


फाइजर वैक्सीन


भारत की बात करें तो फाइजर की वैक्सीन को यहां पर स्टोरेज करने में सबसे बड़ी कठिनाई आएगी. फाइजर को -70 डिग्री तापमान पर स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट करना होगा. इसके साथ ही, 5 दिनों तक इसे रेफिजरेटर के तापमान में रखा जा सकता है. तीन हफ्ते के अंतर पर इसकी दूसरी खुराक लेनी होगी.


मॉडर्ना वैक्सीन


मॉडर्ना वैक्सीन को भारत के लिए माकूल कहा जा सकता है. इसके स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन में -20 डिग्री तापमान चाहिए जबकि 30 दिनों तक इसे रेफ्रिजरेटर के तापमान में रखा जा सकता है. 12 घंटे तक इसे घर के तापमान में भी रखा जा सकता है. चार हफ्ते के अंतर पर इसकी दूसरी खुराक लेनी होगी.