नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सब को चौंकाते हुए सोशल मीडिया छोड़ने की बात की. उन्होंने कहा, ''इस रविवार (8 मार्च) को मैं फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब समेत अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट छोड़ने पर विचार कर रहा हूं. इस बारे में मैं आपको जानकारी दे दूंगा." प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को दिल्ली में फैलाई गई अफवाह से जोड़कर देखा जा रहा है. एक चर्चा ये भी है कि हो सकता है कि सोशल मीडिया पर पीएम मोदी व्यक्तिगत हमलों से आहत हो गए हों और ऐसा फैसला लिया हो. हालांकि, ये सारी बाते अभी कयास ही हैं. अब सब रविवार का इंतजार कर रहे हैं.


मोदी उन नेताओं में से हैं जिन्होंने सोशल मीडिया की ताकत को बहुत पहले भी भांप लिया था. साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव को याद करें तो उस समय भी नरेंद्र मोदी ने इसका बखूबी इस्तेमाल किया. मोदी के प्रचार अभियान में सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा हथियार था. प्रधानमंत्री के बाद वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहे है और धीरे-धीरे दुनियाभर में वो मशहूर हुए. उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती चली गई. ट्विटर पर वो दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेता हैं. बाकी दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भी उनकी प्रभावशाली मौजूदगी है.


पीएम मोदी के साथ-साथ उनकी पार्टी और यहां तक की दूसरी पार्टियों ने भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना शुरू किया. यहां तक की अब क्षेत्रिय पार्टियां भी खुद को इससे दूर नहीं रख पाई. इसके जरिए जनता से सीधे तौर पर जुड़ने में आसानी होती है. संदेश पहुंचाना इतना आसान कभी नहीं रहा.


तमाम खूबियों के बावजूद भी इस प्लेटफॉर्म की कुछ खामियां भी हैं. सबसे बड़ी खामी है ट्रोल और ट्रोलर्स. सोशल मीडिया पर राजनेताओं, पत्रकारों, अभिनेताओं और अन्य को ट्रोल किया जाता है. आलोचना के नाम पर गाली-गलौज की नौबत आ जाती है. भाषा की मर्यादा का ख्याल नहीं रखा जाता. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री का ये फैसला ट्रोल्स के लिए एक संदेश हो.


पीएम मोदी पहले भी ट्रोल्स को चेता चुके हैं. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था, ''आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. कई कभार लोग मर्यादा चूक जाते हैं. किसी भी झूठी बात को सुना तो आगे कर दिया. देखते भी नहीं हैं कि इससे समाज का कितना नुकसान कर रहा हूं. कुछ लोग तो ऐसे शब्द का प्रयोग करते हैं ये किसी भी सभ्य समाज को शोभा नहीं देता है. महिलाओं के लिए कुछ भी लिख देते हैं, मैं समझता हूं ये सिर्फ किसी एक राजनीतिक दल का विषय नहीं है. हम सभी को प्रशिक्षित करना होगा कि इस टेक्नोलॉजी का, इस विज्ञान का उपयोग कभी भी गंदगी फैलाने में नहीं करें.''


पीएम मोदी ने सोशल मीडिया छोड़ने की बात की, लोगों ने कहा- NoSir, साझा किए Memes 


विपक्षी पार्टियां बीजेपी की आईटी सेल पर दुष्प्रचार और ट्रोल करने का आरोप लगाती रही हैं. वहीं बीजेपी विपक्षी पार्टियों को इसके लिए जिम्मेदार बताती रही हैं. आज ही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया छोड़ने की बात की तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सोशल मीडिया नहीं, नफरत छोड़िए.


वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''सम्मानीय प्रधानमंत्री जी, आपसे आग्रह है कि आप उन ट्रोल्स की फौज को यह सलाह दीजिये जो आपके नाम पर लोगों को हर सेकेंड अपशब्द कहते हैं और धमकी देते हैं.''


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, ''सामाजिक संवाद के रास्ते बंद करने की सोचना अच्छी नहीं है बात... छोड़ने के लिए और भी बहुत कुछ सार्थक है साहब... जैसे सत्ता का मोह-लगाव, विद्वेष की राजनीति का ख़्याल, मन-मर्ज़ी की बात, चुनिंदा मीडिया से करवाना मनचाहे सवाल और विश्व विहार... कृपया इन विचारणीय बिंदुओं पर भी करें विचार!''


राहुल गांधी ने पीएम मोदी को दी सलाह, कहा- सोशल मीडिया नहीं, नफरत छोड़िए