कर्नाटक चुनाव: क्यों प्रमोद महाजन का 21 साल पुराना भाषण हो रहा है वायरल?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम के ठीक बाद बनी स्थिति को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स साल 1997 का एक वीडियो खूब शेयर कर रहे हैं. इस वीडियो में बीजेपी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन सबसे बड़ी पार्टी और सत्ता से दूर रहने का दर्द साझा कर रहे हैं.
नई दिल्ली: कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा? यह सवाल चुनाव परिणाम आने के दूसरे दिन भी बरकरार है. सबकी नजरें राज्यपाल के अगले कदमों पर टिकी है. चुनाव बाद बने कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) गठबंधन का दावा है कि बहुमत उसके पास है और राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाएं. जबकि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए आतुर है.
कांग्रेस इतिहास के पन्ने पलट रही है. बीजेपी को मणिपुर, मेघालय और गोवा की याद दिला रही है. ऐसे में सोशल मीडिया यूजर्स कैसे पीछे रहते. वह साल 1997 का एक वीडियो खूब शेयर कर रहे हैं. इस वीडियो में बीजेपी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन सबसे बड़ी पार्टी और सत्ता से दूर रहने का दर्द साझा कर रहे हैं. लोकतंत्र का 'कमाल' बताते हुए लोकसभा में कहते हैं-
''चीन में एक संसदीय यात्रा थी. चीन में लोकतंत्र को लेकर बड़ी उत्सुकता बढ़ी है...वहां के लोगों ने हमसे पूछा कि आपके यहां डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) कैसे चलती है? एक सांसद ने मुझसे पूछा. तो मैंने उन्हें बताया- मैं प्रमोद महाजन, लोकसभा का सदस्य हूं. मेरी पार्टी संसद में सबसे बड़ी पार्टी है और हम विपक्ष में हैं. चीनी नागरिक मुझे से देखने लगा. उसने पूछा- आपकी पार्टी संसद में सबसे बड़ी पार्टी है? मैंने कहा- हां. फिर मैंने चिंतामणि जी (साथी सांसद का जिक्र करते हैं) की ओर हाथ किया. मैंने बताया कि ये संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं. लेकिन यह सरकार से बाहर रहकर सरकार को समर्थन दे रहे हैं. फिर मैंने कहा कि इनकी पार्टी (एक साथी सांसद का जिक्र करते हुए) तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और ये फ्रंट में हैं, लेकिन सरकार से बाहर हैं. (सदन ठहाकों से गूंज उठा) फिर मैंने रमाकांत जी के बारे में बताया. मैंने कहा कि ये अपनी पार्टी के अकेले नेता हैं और यह सरकार में हैं. (संसद में कुछ सेकेंड टक ठहाकें गूंजते रहे.)''
प्रमोद महाजन का यह भाषण तब का है जब बीजेपी विपक्ष में थी. उन्होंने संसद में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के विश्वास प्रस्ताव के दौरान पूरी कहानी बताई. अब देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस ही कर्नाटक में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के लिए तैयार है. यहां एक बात ध्यान रहे कि 1996 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, तब राष्ट्रपति ने सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था. उन्होंने सरकार बनाई, लेकिन 13 दिन बाद ही वो सरकार बहुमत हासिल नहीं कर पाने की वजह गिर गई थी. और उसके बाद देवगौड़ा पीएम बने थे.
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क्या है कर्नाटक में सीटों का समीकरण? कर्नाटक में खंडित जनादेश मिला है. बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली हैं. सरकार बनाने के लिए सूबे में 112 सीटों की जरूरत है. कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन होने से यह आंकड़ा 115 तक पहुंच जाता है. जो राज्य में सरकार बनाने के लिए काफी है. वहीं बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस और अन्य दलों के विधायक उसके साथ हैं. राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने का मौका दें.
कांग्रेस क्यों पलट रही है पन्ने? कांग्रेस ने मंगलवार को गोवा, मेघालय और मणिपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि कर्नाटक में नई सरकार के गठन के लिए राज्यपाल वजुभाई वाला कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को आमंत्रित करें. मार्च 2017 में हुए गोवा, मणिपुर विधानसभा चुनाव और मेघालय में मार्च 2018 में हुए विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा है कि कांग्रेस इन तीनों राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बीजेपी को चुनाव बाद गठबंधन के बावजूद सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. अब राज्यपाल कर्नाटक में भी यही कदम उठाएं.
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