महाराष्ट्रः बुलेट ट्रेन चलाने वाली एजेंसी क्यों सिखा रही है स्कूटर की मरम्मत करना?
जमीन अधिग्रहण के कारण खेती से जुडे लोगों की आय प्रभावित हुई है. ऐसे में परियोजना प्रभावित परिवारों को मुख्य धारा से जोड़ने और आय बहाल करने के लिए एनएचएसआरसीएल ने कौशल विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है.
मुंबईः जिस नेशनल हाई स्पीड सेल कारपोरेशन यानी (एनएचएसआरसीएल) को मुंबई और अहमदाबाद के बीच भारत की पहली बुलेट ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वो इन दिनों गुजरात के युवकों को स्कूटर मरम्मत करने की ट्रेनिंग दे रही है. हाल ही में गुजरात के खेडा और आणंद में एजेंसी की ओर से स्कूटर मरम्मत के लिये इस्तेमाल होने वाले औजारों के किट भी बांटे गये.
दरअसल, बुलेट ट्रेन की पटरियां बिछाने के लिये और स्टेशन बनाने के लिये बडे पैमाने पर ग्रामीण इलाकों से जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. इस कारण खेती से जुडे लोगों की आय प्रभावित हुई है. ऐसे में परियोजना प्रभावित परिवारों को मुख्य धारा से जोड़ने और आय बहाल करने के लिए एनएचएसआरसीएल ने कौशल विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है.
क्या है कार्यक्रम का मकसद?
इस कार्यक्रम का मकसद है परियोजना से प्रभावित परिवार के सदस्यों की ओर से अलग अलग तरह के व्यावसायिक प्रशिक्षण हासिल कर आमदनी के अवसर पैदा करना. NHSRCL के मुताबिक ये परियोजना के प्रभावों का आकलन कर, प्रभावित लोगो के पुनर्वास तथा उनके आर्थिक एवं सामाजिक जीवन स्तर को सुधारने के लिए किये जाने वाले उपायों को विकसित करती है.
कौशल विकास कार्यक्रम के तहत कई पाठ्यक्रमों जैसे कि कंप्यूटर और हार्डवेयर, सिलाई - बुनाई, टैली एंड अकॉउंटिंग, ब्यूटिशियन, मैकेनिक प्रशिक्षण आदि में अभी तक 200 से ज्यादा परियोजना प्रभावित लोगो को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. NHSRCL का कहना है कि ये परियोजना कौशल विकास कार्यक्रमों के तहत महिलाओं को स्वावलम्बी और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने की कोशिश कर रही है.
क्यों कर रही है NHSRCL कसरत?
NHSRCL को ये पूरी कसरत इसलिये करनी पड रही है क्योंकि बुलेट ट्रेन परियोजना का महाराष्ट्र और गुजरात के किसान विरोध कर रहे हैं. कहीं किसान मुआवजे की ज्यादा रकम मांग रहे हैं तो कहीं किसानों ने सीधे तौर पर प्रोजक्ट की खातिर जमीन देने से मना कर दिया है. महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन विरोधियों को शिवसेना और एमएनएस जैसी पार्टियों का समर्थन मिला हुआ है.
हालांकि, बडे पैमाने पर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है लेकिन अभी भी काफी जमीन अधिग्रहित होनी बाकी है. इस तरह के कार्यक्रम चला कर NHSRCL ये संदेश देना चाहती है कि बुलेट ट्रेन की वजह से किसानों की भले ही जमीन जायेगी लेकिन उनकी आय नहीं.
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