नई दिल्लीः दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और लगातार मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. सवाल यह है कि आखिर मौत का आंकड़ा इतनी तेजी से कैसे बढ़ने लगा? क्या दिल्ली में इलाज ना मिल पाने के कारण लोगों की मौत हो रही है या फिर कोरोना संक्रमण की टेस्ट रिपोर्ट आने में हो रही देरी के चलते भी हालात खराब होते जा रहे हैं?
दिल्ली में 31 मई तक जहां कोरोना संक्रमण की वजह से 473 मौतें हुई थीं तो वहीं 10 जून आते आते आंकड़ा दोगुना हो गया है. यानी पिछले 10 दिनों में 100 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो गई है. यह हालात चिंताजनक है और डराने वाले हैं. लेकिन ऐसा हो क्यों रहा है अगर हम इसकी पड़ताल करते हैं तो पता चलता है इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि दिल्ली में लोगों को इलाज मिलने में दिक्कत आ रही है.
कई बार तो इलाज इस वजह से नहीं मिलता क्योंकि यह पता ही नहीं होता कि जो व्यक्ति इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा है वह कोरोना संक्रमित है भी या नहीं. उसको यह कह कर इलाज करने से मना कर दिया जाता है कि पहले कोरोना संक्रमण की जांच करवा कर आओ और रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो फिर इलाज किया जाएगा. कई बार इसमें काफी देरी हो जाती है.
टेस्ट की रिपोर्ट आने में हो रही देरी
इसके साथ ही जो दूसरा बड़ा कारण निकल के सामने आ रहा है वह कोरोना संक्रमण की जांच की रिपोर्ट में लगने वाला वक़्त है. जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कोरोना जांच होने के 12 घंटे के भीतर ही रिपोर्ट सामने आ जाती है तो वहीं अधिकतर मामलों में 3 से 4 दिन बाद भी लोगों को जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाती.
कई मामले तो ऐसे भी होते हैं जहां पर टेस्ट रिपोर्ट तब सामने आई जब मरीज दम तोड़ चुका था. कुछ ऐसा ही हुआ है इमरान के साथ. इमरान के पिता अमीरुल अब इस दुनिया में नहीं हैं. 55 साल के अमीरुल 8 और 9 तारीख की दरमियानी रात में दम तोड़ चुके हैं लेकिन आज की तारीख में भी इमरान और इनके परिवार वालों को नहीं पता के इनके पिता अमीरुल की मौत की वजह क्या है?
क्या अमीरुल की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हुई या और कोई बीमारी थी? क्योंकि अमीरुल की कोरोनावायरस की जांच के लिए सैंपल तो 7 तारीख को ही ले लिया गया था. लेकिन अभी तक वह जांच रिपोर्ट परिवार को नहीं मिली और ना ही कोई जानकारी दी गयी. जानकारी मिली भी तो बस यही कि अब अमीरुल इस दुनिया में नहीं हैं.
कुछ दिनों पहले सूरज की भी यही कहानी सामने आई थी. सूरज अपने बड़े पापा का अंतिम संस्कार करने के लिए दिल्ली के निगमबोध घाट पहुंचे थे. लेकिन बात करने पर पता चला की सूरज के बड़े पापा की मौत 5 दिन पहले ही हो चुकी थी लेकिन सिर्फ इस वजह से अंतिम संस्कार के लिए शव को नहीं दिया जा रहा था क्योंकि कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं मिली थी. जब तक रिपोर्ट आई और कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई तब तक वह दम तोड़ चुके थे.
अस्पताल में भटकते रहते हैं मरीज
इसके साथ ही लगातार बढ़ती मौतों की एक वजह यह भी निकल के सामने आ रही है कि जब मरीज अस्पताल पहुंचते हैं तो उनकी जांच को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जाती है. मरीज भटकते रहते हैं लेकिन उनको सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता. ऐसा ही कुछ सोशल मीडिया के जरिए अस्पताल के इंतजामों पर सवाल उठाने वाली अमरप्रीत के पिता के साथ भी हुआ था. अमरप्रीत अपने पिता को लेकर अस्पताल के बाहर खड़ी रही लेकिन जब तक वह अंदर पहुंचे तब तक वह दम तोड़ चुके थे.
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े जानकारों की माने तो लगातार हो रही मौतों की वजह यह है कि लोगों का दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में विश्वास नहीं और निजी अस्पतालों में इतना सारा पैसा मांगा जा रहा है कि वह उसका खर्च उठा नहीं सकते.
तो इस तरह से दिल्ली में लगातार मौतें होती जा रही हैं लोग अपनों को खोते जा रहे हैं और जो सबसे बड़ी वजह निकल के सामने आई वो बदइंतजामी या अधूरी तैयारी है. इस सबके बीच खामियाजा दिल्ली के वे लोग उठा रहे हैं जो इस महामारी के चलते हैं अपनों को खो रहे हैं.
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