यूपी: यूपी में बोर्ड के इम्तिहान चल रहे हैं. शुक्रवार को दसवीं क्लास के बच्चे अंग्रेज़ी की और बारहवीं क्लास के बच्चे गणित की परीक्षा देंगे. सबकी नज़र इस बात पर रहेगी कि आज कितने बच्चे ड्रॉप करते हैं? तीन दिनों की परीक्षा के बाद अब तक 6 लाख 33 हज़ार बच्चे इम्तिहान छोड़ चुके हैं. मैट्रिक के 3 लाख 80 हज़ार और इंटर के 2 लाख 53 हज़ार बच्चे अब तक परीक्षा से ग़ायब रहे हैं.


अब सवाल ये है कि आख़िर लाखों बच्चे परीक्षा से क्यों भाग रहे हैं. क्या नक़ल पर योगी सरकार के कड़े रवैये से ऐसा हो रहा है? परीक्षा सेंटर में सीसीटीवी लगाने से ही बच्चे भाग गए? या फिर कोई और वजह है? अगर पिछले तीन सालों में परीक्षा छोड़ने वालों के आंकड़ों को समझें तो तस्वीर साफ होने लगती है. पिछले साल 3 लाख 39 हज़ार बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी थी. साल 2016 में तो 7 लाख 50 हज़ार बच्चे ग़ायब हो गए. 2015 में 5 लाख 35 बच्चे ग़ायब हो गए.


ये आंकड़े बताते हैं कि इस साल कोई अनहोनी या फिर अजूबा नहीं हुआ है. दो साल पहले की ही तो बात है जब अखिलेश यादव सीएम थे. तब 7 लाख से अधिक बच्चों ने परीक्षा से तौबा कर ली थी. उन दिनों नकल रोकने के लिए कोई चाबुक तो नहीं चला था. न ही सीसीटीवी लगाने की चर्चा थी. तब भी लाखों बच्चों ने इम्तिहान नहीं दिया था. यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा इन दिनों यूपी के तूफ़ानी दौरे पर हैं. हेलिकॉप्टर से वे कई जिलों में जाकर परीक्षा सेंटर का मुआयना कर चुके हैं.


शर्मा बताते हैं कि “सरकार की नकल रोकने की प्रतिज्ञा के कारण ही बच्चे परीक्षा ड्रॉप कर रहे हैं, ऐसा पहली बार हुआ है कि नक़ल से लोगों को डर लग रहा है.” योगी सरकार ने इस बार सभी परीक्षा सेंटर पर सीसीटीवी कैमरा लगाने का दावा किया है. जिस स्कूल में परीक्षा हो रही है, उसके आस पास धारा 144 लगा दी गई है. तीन दर्जन जिलों को अति संवेदनशील घोषित किया गया है. कई जगहों पर एसटीएफ यानि स्पेशल टास्क फ़ोर्स को लगाया गया है. परीक्षा से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलों के डीएम और एसपी के साथ वीडियो कनफ़्रेंस से मीटिंग की.


तो क्या योगी सरकार के नक़ल रोको अभियान से बच्चे परीक्षा छोड़ रहे हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री आर पी मिश्र की मानें तो ये सिर्फ़ आधा सच है. वे कहते हैं “ पहले भी ऐसा होता रहा है. लाखों बच्चे परीक्षा छोड़ते रहे हैं. पढ़ाई पूरी न होने से भी ऐसा हो सकता है.” पिछले साल सिर्फ़ 170 दिन ही पढ़ाई हो पाई थी. यूपी में नक़ल का कारोबार अरबों रूपयों का है. नकल माफिया, अधिकारी और शिक्षा विभाग मिल कर ये धंधा करते रहे हैं.


यहां परीक्षा सेंटर में नकल ठेके पर कराए जाते हैं. पूरा सिस्टम बना हुआ है. यूपी के बाहर के बच्चे यहां सिर्फ़ बोर्ड की परीक्षा देने आते हैं. कश्मीर से लेकर कर्नाटक के बच्चे परीक्षा देने यहां आते रहे हैं. पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव में नकल भी एक मुद्दा था. पीएम नरेन्द्र मोदी ने फरवरी 2017 में गोंडा की एक चुनावी सभा में कहा था “ यहां तो नक़ल भी कारोबार है और परीक्षा ठेके पर होती है”


यूपी में बिना नकल के परीक्षा करा लेना असंभव को संभव बना देना जैसा ही है. यहां तो देश भर के लोग अच्छे नंबरों से पास होने के लिए परीक्षा देने आते हैं. वो भी बिना पढ़े हुए. पैसा फेंक, तमाशा देख के फार्मूले पर सालों से यही होता रहा है. अलीगढ़ से लेकर बलिया तक, हर जगह का यही सच है. कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह ने जरूर सीएम रहते हुए नकल पर रोक लगाने की कोशिश की थी.