थम गया चुनाव प्रचार, जानें क्यों अहम है ये MCD चुनाव?
नई दिल्ली: दिल्ली MCD चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम गया है. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी. इस बार MCD चुनाव में तीनों पार्टियों की साख दांव पर लगी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने वाली बीजेपी MCD चुनाव को अपने सम्मान से जोड़ कर देख रही है, तो वहीं लगातार 15 साल तक दिल्ली में शासन कर चुकी कांग्रेस इस बार दिल्ली में MCD चुनाव के जरिए अपनी स्थिति सुधारने के प्रयास में जुटी है.
ये MCD चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए भी खास है. गोवा, पंजाब और दिल्ली विधानसभा उप चुनाव में करारी हार झेल चुकी आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठता इन चुनवों में दांव पर लगी है.
23 अप्रैल को 271 वार्ड में वोटिंग होगी. वोटिंग सुबह 7 बजे से शाम 5.30 बजे तक होगी. साउथ और नॉर्थ एमसीडी में 104-104 वार्ड हैं और ईस्ट एमसीडी में 64 वार्ड हैं. दिल्ली MCD चुनाव के लिए कुल 14 हजार मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इन चुनावों में 1 करोड़ 32 लाख वोटर वोट डालेंगे.
पार्टियों ने झोंकी पूरी ताकत बीजेपी ने MCD चुनाव जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है, गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर स्मृति ईरानी तक कई केंद्रीय मंत्री बीजेपी के लिए वोट मांग चुके हैं. शायद यही वजह है कि मनोज तिवारी जीत के लिए आश्वस्त दिख रहे हैं. बीजेपी के अपने दावे हैं, बावजूद इसके आम आदमी पार्टी को अपनी जीत का पूरा भरोसा है.
डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रचार के आखिरी दिन गली-गली जाकर अपने प्रत्याशियों के वोट मांगा, भारी भीड़ के बीच सिसोदिया ने MCD पर कब्जे का दावा ठोंक दिया. आखिरी दिन आप के कई बड़े नेता गलियों की खाक छानते दिखे, जल मंत्री कपिल मिश्रा तो डीजे की धुन पर थिरकते नजर आए. प्रचार के बीच सीएम अरिविंद केजरीवाल ने दावा किया कि अगर उन्हें MCD की सत्ता मिली तो एक साल के अंदर दिल्ली को चमका देंगे.
प्रचार के आखिर दिन कांग्रेस ने भी वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश की, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने नरेला इलाके में जनसभा की. माकन का दावा है कि इस बार उनकी पार्टी 200 से ज्यादा सीटें जीतेगी.
योगेंद्र यादव को भी है उम्मीद वहीं केजरीवाल से अलग हुए योगेंद्र यादव भी अपने आप को MCD की रेस में मानते हैं, उनका चुनाव चिन्ह सीटी है. योगेंद्र यादव ने भी आखिरी दिन रोड शो कर वोट मांगे थे. दिल्ली के MCD की 272 सीटें हैं. 271 सीटों पर परसों यानि 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. एसपी प्रत्याशी की मौत से एक सीट पर चुनाव टल गया है. 26 अप्रैल को MCD चुनाव के नतीजे आएंगे.
भले ही सभी पार्टियां जीत के दावे कर रही हैं लेकिन अंत में जीतेगा वही जिसे जनता अपने सिर-आंखों पर बिठाएगी. किसके दावे में कितना दम है इसे जानने के लिए अब नतीजों के दिन यानि 26 अप्रैल का इंतजार करना पड़ेगा.
दिल्ली का ये चुनाव अहम क्यों है?
- बीजेपी के लिए तीसरी बार सत्ता में आने की चुनौती है.
- 2015 की हार को भुलने के लिए जीतना जरूरी है.
- पहली बार आम आदमी पार्टी MCD लड़ रही है.
- 2015 के चुनाव नतीजों को दोहराने की चुनौती है.
- कांग्रेस पर दिल्ली में वापसी का दबाव है.
- विद्रोह के बीच अजय माकन पर खुद को साबित करने की चुनौती है.
- नीतीश और योगेंद्र यादव की पार्टी पहली बार पूरे दम से लड़ रही है.