Swaminathan Commission Recommendation: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की अगुआई में भारत जोड़ो न्याय यात्रा बिहार के कैमूर पहुंच चुकी है. इस दौरान कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश से पूछा गया कि यूपीए सरकार के दौरान स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को क्यों स्वीकार नहीं किया गया. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "स्वामीनाथन आयोग ने साल 2006 में रिपोर्ट पेश की. प्रधानमंत्री ने उस रिपोर्ट को तत्कालिन प्लानिंग कमीशन, जो एक नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल होता है, उन्हें भेजा गया."


2007 में बनाई गई मुख्यमंत्रियों की समिति


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "उस काउंसिल के सदस्य देश के सभी मुख्यमंत्री हैं. उनसे कहा गया कि आप इस रिपोर्ट पर अध्ययन कीजिए. रिपोर्ट अध्ययन करने के बाद सरकार को अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा गया. 2007 में मुख्यमंत्रियों की एक समिति बनाई गई, जिसकी अध्यक्षता उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की." 


यूपीए सरकार ने क्यों नहीं लागू की?


कांग्रेस महासचिव ने कहा, "फरवरी 2011 में उस समिति ने तत्कालिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी. उसमें मोदी जी ने खुद लिखा है कि अब समय आ गया है कि एमएसपी को कानून का दर्जा दिया जाना चाहिए. जब इसे लागू करने का वक्त आया, उस समय हमारे सामने भारतीय सुरक्षा विधेयक था, भूमि अधिग्रहन का विधेयक था."


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "साल 2013 में ये सभी पारित हो गए और फिर चुनाव की घोषणा हुई. मनमोहन सिंह की सरकार ने उस समय सोचा कि यह बहुत बड़ा कदम है, इसलिए एक आम सहमति बनाकर जब हमारी सरकार वापस लौटेगी तो इसको लागू करेंगे. यह निर्णय सितंबर 2013 में लिया गया, लेकिन फिर हमारी सरकार वापस नहीं आई."






कांग्रेस महासचिव ने कहा, "इसके बाद मोदी जी की सरकार बनीं. वही नरेंद्र मोदी जिन्होंने मुख्यमंत्रियों की समिति की अध्यक्षता की और वही समिति जिसने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को समर्थन दिया. 2014 से पीएम मोदी ने इस पर कुछ नहीं किया, जो सवाल मौजूदा प्रधानमंत्री से पूछे जाने चाहिए वो पूर्व प्रधानमंत्री से पूछे जा रहे हैं.


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