(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Vijay Rupani Resignation: विधानसभा चुनाव से एक साल पहले क्यों विजय रुपाणी को देना पड़ा गुजरात सीएम पद से इस्तीफा? जानें
Vijay Rupani Resignation: विजय रुपाणी को 2016 में आनंदीबेन पटेल की जगह पर गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था. उनके कार्यकाल के पांच साल पिछले ही महीने पूरे हुए हैं.
Vijay Rupani Resignation: गुजरात में अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के तहत शनिवार को मुख्यमंत्री पद से विजय रुपाणी ने अपना इस्तीफा राजभवन में राज्यपाल देवव्रत आचार्य को सौंप दिया. इस्तीफा देने के बाद विजय रुपाणी ने संवाददाताओं से कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहकर सेवा करने का अवसर दिया.
पिछले महीने 5 साल का कार्यकाल हुआ था पूरा
उन्होंने अचानक इस्तीफा देने के सवालों को टाल दिया और कहा कि उन्होंने पांच वर्षों तक मुख्यमंत्री पद पर अपनी सेवाएं दी, जो कि काफी लंबा समय है. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी में यह सामान्य बात है. रूपाणी ने कहा कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में वह अपना काम आगे भी जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान लोगों का बीजेपी में लगातार विश्वास बना रहा.
गौरतलब है कि विजय रुपाणी को 2016 में आनंदीबेन पटेल की जगह पर गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था. उनके कार्यकाल के पांच साल पिछले महीने ही पूरे हुए हैं. हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. पुरूषोत्तम रूपाला, मनसुख मंडाविया समेत कई नाम सीएम रेस में सामने आ रहे हैं.
रुपाणी ने क्यों दिया इस्तीफा?
दरअसल, विजय रुपाणी के इस्तीफे को लेकर अटकलें काफी पहले से लगाई जा रही थी. विजय रुपाणी के पांच साल सीएम पद पर पूरा होने पर कार्यक्रम भी किया गया था. लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, राज्य संगठन की रिपोर्ट विजय रुपाणी के खिलाफ थी. राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन, रिपोर्ट में कहा गया था कि विजय रुपाणी के नेतृत्व में चुनाव में जीत मुमकिन नहीं है. दो दिन पहले ही बीएल संतोष को गांधी नगर भेजा गया था.
विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह ने कहा कि उनको मुख्यमंत्री उस वक्त बनाया गया, जब गुजरात सीएम पद से आनंदीबेन पटेल को हटाया गया था. तब से ही यह स्पष्ट था कि ये 'स्टॉप गैप' अरेंजमेंट है, क्योंकि विजय रूपाणी कोई जन नेता या करिश्माई नेता नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उनको लेकर चुनाव में जाना 2017 के विधानसभा चुनाव में ही पार्टी को समझ में आ गया था. प्रधानमंत्री को खुद चुनाव में लगना पड़ा, उसके बाद बड़ी मुश्किल से चुनाव में जीत मिली थी. उसके बाद ही यह साफ हो गया था कि सीएम पद पर विजय रुपाणी बहुत लंबे समय तक नहीं रहेंगे.
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