Wild Animals on Verge of Extinction: भारत में चीतों (Cheetah) का कुनबा फिर से बसाने के लिए उन्हें नामीबिया (Namibia) से लाया गया है. कुल आठ चीते लाए गए, जिनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल हैं. इन्हें मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कूनो नेशनल पार्क (Kuno Wildlife Sanctuary) में रखा गया है. भारत से करीब सत्तर साल पहले वन्य जीव की यह प्रजाति विलुप्त (Extinct) हो गई थी.
वहीं, बाघों की आबादी पर भी खतरा बताया जा रहा है. दुनियाभर में बाघों की संख्या साढ़े चार हजार है, जिनमें 2,967 बाघ भारत में बताए जाते हैं. भारत में चीतों की वापसी एक बार फिर ऐसे वन्य जीवों की ओर ध्यान आकर्षित करती है जो विलुप्ति की कगार पर हैं या जिनकी प्रजाति खतरे में है.
वन्यजीवों की 41,000 से ज्यादा प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा
1964 से प्रकृति संरक्षण के लिए काम करने वाला यूके आधारित अंतरराष्ट्रीय संघ (IUCN) ऐसे ही जीव-जंतुओं का डेटा तैयार करता है. जीवों की ये ऐसी प्रजातियां हैं जिन्हें बचाने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं. आईयूसीएन की सूची को आईयूसीएम रेड लिस्ट या रेड डेटा बुक के नाम से भी जाना जाता है. आईयूसीएन रेड लिस्ट के 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, वन्यजीवों की 41,000 से ज्यादा प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है. यह आंकड़ा तब है जब ऐसी प्रजातियों तक केवल 28 फीसदी पहुंच संभव हो पाई है.
एकदम विलुप्ति की कगार पर ये वन्यजीव
1961 से वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे स्विटजरलैंड आधारित एनजीओ वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन ने भी ऐसे वन्यजीवों की सूची बनाई है जिनका अस्तित्व खतरे में है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के मुताबिक, एकदम विलुप्ति की कगार पर जो वन्यजीव हैं, उनमें अफ्रीकी जंगली हाथी, अमूर तेंदुआ, ब्लैक राइनो, बोरनियन आरंगुटान, क्रॉस रिवर गोरिल्ला, ईस्टर्न लोलैंड गोरिल्ला, हॉक्सबिल कछुआ, जावन राइनो, आरंगुटान, सौला, सुमात्रा हाथी, सुमात्रा आरंगुटान, सुमात्रा राइनो, सुंडा टाइगर, वैक्विटा, वेस्टर्न लोलैंड गोरिल्ला और यांग्त्जी फिनलेस पोरपोइज शामिल हैं.
इन वन्यजीवों के अस्तित्व पर खतरा
इनके अलावा, जिन प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है, उनमें अफ्रीकी सवाना हाथी, अफ्रीका वाइल्ड डॉग, एशियाई हाथी, काले पैरों वाला फेरेट, ब्लू व्हेल, ब्लूफिन ट्यूना, बोनोबो, बोर्नियन हाथी, चिंपांजी, फिन व्हेल, गैलापागोस पेंगुइन, गंगा नदी डॉल्फिन, हरा कछुआ, हेक्टर्स डॉल्फिन, हम्फेड रैस, भारतीय हाथी, सिंधु नदी डॉल्फिन, इरावदी डॉल्फिन, रानी तितली, पर्वतीय गोरिल्ला, नॉर्थ अटलांटिक राइट व्हेल, रेड पांडा, सी लायन, समुद्री कछुआ, सेई व्हेल, श्रीलंकाई हाथी, बाघ, व्हेल और व्हेल शार्क शामिल हैं. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फाउंडेशन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, 40 वर्षों में स्तनधारियों, पक्षियों, मछलियों, सरीसृपों और उभयचरों की आबादी में 60 फीसदी तक की गिरावट देखी गई.
इन प्रजातियों को फिर से जीवन देने की कोशिश
वैज्ञानिक ने 20 के दशक में तीन नॉर्दर्न व्हाइट राइनो में से बचे सुनी नाम के आखिरी नर गैंडे का स्पर्म तकनीकी के माध्यम से सुरक्षित कर लिया था. आज इस प्रजाति की मादा गैंडा हाथी जीवित हैं, जिन्हें केन्या, नाजिन और फातू में संरक्षण में रखा गया है. सुनी गैंडे के स्पर्म के जरिये वैज्ञानिक इस प्रजाति को फिर से जीवन देने की कोशिश में लगे हैं.
वैज्ञानिकों ने पाइरेनियन आइबेक्स नामक जानवर को दो बार जीवन देने की कोशिश की लेकिन यह प्रजाति विलुप्त हो गई. यात्री कबूतर और हीथ हेन, वूली मैमथ, तस्मानियाई बाघ, औरोक्स और कैलिफोर्निया कोंडोर ऐसी कुछ प्रजातियां हैं जिन्हें फिर से जीवित करने की कोशिशें की जा रही हैं. बता दें कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है. वन्यजीवों के संरक्षण के लिए भारत की तरफ से भी लगातार कोशिशें हो रही हैं.
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