क्या सीएम ममता के गढ़ को तोड़ पाएंगे अमित शाह के बंसल
भुवनेश्वर में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अमित शाह ने अपने सपने के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था जब बंगाल और केरल में बीजेपी की सरकार होगी तब पार्टी का स्वर्णिम समय आएगा.
कोलकाता: बंगाल विजय अमित शाह का सपना रहा है. ये बात उन्होंने खुद अब से ठीक चार साल पहले कही थी. जब वे बीजेपी के अध्यक्ष थे. भुवनेश्वर में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अमित शाह ने अपने सपने के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था जब बंगाल और केरल में बीजेपी की सरकार होगी तब पार्टी का स्वर्णिम समय आएगा. इसी सपने को पूरा करने के लिए अमित शाह ने ममता बनर्जी के सबसे मज़बूत गढ़ में अपने सबसे भरोसेमंद नेता को लगाया है. उन्होंने कोलकाता ज़ोन की ज़िम्मेदारी यूपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल को दी है. दोनों की जोड़ी ने यूपी में असंभव को संभव कर दिया. पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत मिली. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में इस इतिहास को दुहराया. अमित शाह जब महासचिव होने के नाते यूपी के प्रभारी थे, तब वे सुनील बंसल को संगठन मंत्री बना कर लखनऊ लाए थे. अब वही सुनील बंसल के पास बंगाल के 51 विधानसभा सीटों की ज़िम्मेदारी है.
बंगाल में कोलकाता ज़ोन के 6 ज़िले बीजेपी की सबसे कमजोर कड़ी मानी जाती है. ये इलाक़ा ममता बनर्जी का गढ़ है. ममता के इस गढ़ में बीजेपी का कमल अब तक नहीं खिल पाया है. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को बस 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था. लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने धमाकेदार एंट्री मारी. बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर पार्टी विजयी रही. लेकिन कोलकाता ज़ोन की 7 सीटों पर बीजेपी का खाता तक नहीं खुल पाया. लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी ने कोलकाता ज़ोन की 16 सीटों पर बढ़त बनाई. सबसे चौंकानेवाला ट्रेंड रहा भवानीपुर का, जहां से ममता बनर्जी विधायक हैं. जिस वार्ड नंबर 73 में उनका घर है, वहां बीजेपी को टीएमसी से 496 वोट अधिक मिले. भवानीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी और टीएमसी में बस 3168 वोटों का अंतर रहा. इसीलिए पीएम नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि हार के डर से दीदी ने भवानीपुर सीट छोड़ दी.
तीन महीने पहले सुनील बंसल ने यूपी से आकर कोलकाता में डेरा डाल दिया. जब उन्होंने यहां का काम संभाला तब संगठन बहुत कमजोर था. कार्यकर्ताओं के नाम पर सिर्फ़ आठ हज़ार लोगों का ब्यौरा था. लेकिन फिर उन्होंने बूथ कमेटी से लेकर सेक्टर और फिर मंडल तक संगठन का विस्तार किया. हर बूथ पर एक व्हाट्सएप प्रभारी बनाया. सभी 51 विधानसभा सीटों पर जाकर मीटिंग की. जयपुर के रहने वाले सुनील बंसल के बड़े भाई दुर्गापुर में रहते हैं. वहां उनका आना जाना लगा रहता है. इस कारण वे बांग्ला जानते और समझते हैं. बंगाल में चुनाव की तैयारी में ये उनके बहुत काम आ रहा है.
ब्रिगेड मैदान में मोदी की रैली में सबसे अधिक भीड़ जुटाने की ज़िम्मेदारी भी उनके ही पास थी. पहले चरण को छोड़ कर हर दौर में कोलकाता ज़ोन में वोटिंग है. अभी उनका सारा ज़ोर हर बूथ पर पोलिंग एजेंट तैयार करने का है. उन्होंने बताया कि शुरूआत में ममता सरकार और टीएमसी के डर के कारण नए कार्यकर्ता जोड़ना बड़ा कठिन काम था. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. लोगों में प्रधानमंत्री को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. लोग बंगाल में परिवर्तन चाहते हैं. आख़िरी चरण के मतदान तक सुनील बंसल यहां रह कर पार्टी का काम काज संभालेंगे. कोलकाता से ही हर बार टीएमसी को बंपर जीत मिलती रही है. लेकिन अगर इस बार सुनील बंसल की रणनीति सफल रही तो फिर ममता बनर्जी का चुनावी गणित गड़बड़ हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो फिर बंगाल विजय का अमित शाह का सपना भी पूरा होगा. इस तरह शाह और बंसल की जोड़ी की जीत की हैट-ट्रिक लगेगी.