Bageshwar Baba Bihar Visit: बाबा बागेश्वर के बिहार दौरे को लेकर सियासत गरमा गई है. एक तरफ बीजेपी (BJP) खुलकर बाबा के समर्थन में बैटिंग कर रही है तो दूसरी तरफ महागठबंधन ने बाबा के बॉयकॉट का मोर्चा संभाल लिया है. क्या बाबा के जरिए बीजेपी 2024 के लिए हिंदुत्व की छतरी तले महागठबंधन के जातीय गुणा गणित को तोड़ने की कोशिश कर रही है. बाबा बागेश्वर का बिहार में जोरदार स्वागत हुआ है. होटल से निकलते वक्त हजारों की संख्या में लोग बाबा की एक झलक पाने के लिए तपती दोपहरी में बेकरार दिखे.
पटना शहर से करीब 20-25 किलोमीटर दूर जिस नौबतपुर में पंडाल सजा है. वहां लाखों की भीड़ बाबा को सुनने पहुंच रही है. यहां बागेश्वर धाम के सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय कथा हो रही है. जो 17 मई को खत्म होगी. बाबा का ये कार्यक्रम वैसे तो धार्मिक है, लेकिन जिस तरह से इसमें राजनीति का तड़का लगा है उसके बाद से ये सवाल पूछे जाने लगे हैं कि आखिर बाबा बिहार आए क्यों हैं. दोनों पक्षों के नेताओं की ओर से इस मामले पर जोरदार बयानबाजी भी की गई है.
नीतीश कुमार ने क्या कहा?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आजादी की लड़ाई के बाद सबकी सहमति से संविधान बना. राष्ट्रपिता की ओर से किए गए नामकरण को सभी को स्वीकार करना चाहिए. जो (बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री) लोग बोल रहे हैं क्या उनका उस समय जन्म हुआ था? हम सब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मानते हैं. हम उसी के आधार पर काम कर रहे हैं. हमको आश्चर्य होता है जो ऐसा बोलते हैं. क्या जरूरत है ऐसा बोलने की, हिंदू-मुस्लिम सब है यहां, सबको अपने ढंग से पूजा का अधिकार है. सब धर्म मानने का अधिकार है. संविधान सबकी सहमति से बना था.
"बाबा कौन चीज है, वो कोई बाबा है?"
बिहार के पूर्व सीएम और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि कर्नाटक चुनाव में बीजेपी का सफाया हो गया है. बाबा कौन चीज है, वो कोई बाबा है. वहीं बिहार सरकार के मंत्री तेजप्रताप यादव ने कहा कि बाबा बिहारियों को गाली देने का काम कर रहे है. बिहार में कृष्ण राज्य है, यहां महागठबंधन का राज है. भगवान कृष्ण 16 कलाओं से पूर्ण थे और राम जी 14 कला से ही पूर्ण थे. ये सब देश को तोड़ने के लिए राजनीति की जा रही है. जनता ने कर्नाटक में परिणाम दे दिया है.
अश्विनी चौबे ने दी चेतावनी
बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बाबा का बचाव करते हुए कहा था कि मैं 13 से 17 मई तक पटना में बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित रहूंगा. राज्य के शिक्षा मंत्री को शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने रामचरितमानस का अपमान किया है. बाबा बागेश्वर, जो सनातन धर्म के संरक्षक हैं, ने अपना जीवन देश की भलाई के लिए समर्पित कर दिया है. यदि आपने उन्हें छूने की हिम्मत की, तो आपको नुकसान होगा.
सत्ताधारी जेडीयू और आरजेडी के नेता इस कार्यक्रम को लेकर बाबा को घेर रहे हैं. जबकि बीजेपी खुलकर बाबा के पक्ष में बैटिंग कर रही है. बाबा के मंच पर पहले दिन से ही बीजेपी के नेताओं का जमावड़ा लगा है. केंद्रीय मंत्री से लेकर स्थानीय सांसद और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर विधायक दल के नेता तक बाबा के मंच की शोभा बढ़ाते नजर आ रहे हैं.
दो हिस्सों में बंटी बिहार की राजनीति
गायक और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी तो मंच से गीत गाते दिखे. एक तरीके से देखें तो बाबा के इस कार्यक्रम को बीजेपी नेताओं ने हाईजैक कर रखा है. बीजेपी के बड़े-बड़े नेता बाबा से मिल रहे हैं. बाबा के बिहार आने का जब कार्यक्रम तय हुआ तब से ही आरजेडी और जेडीयू के नेता उनपर निशाना साधने लगे. बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं ने बाबा के पक्ष में बयान देकर सत्ताधारी गठबंधन पर पलटवार किया. तभी से बाबा को लेकर बिहार की राजनीति दो हिस्सों में बंटी हुई है.
अब आपके मन में सवाल होगा कि बाबा जब धार्मिक व्यक्ति हैं तो फिर बिहार की राजनीति उनको लेकर क्यों गर्माई हुई है. असल में बाबा के इस दौरे ने बीजेपी को बिहार में फ्रंट फुट पर खेलने का मौका दे दिया है. साथ ही बिहार के वोटरों को ये मैसेज गया है कि पार्टी को बाबा का समर्थन है और बीजेपी को इससे हिंदू वोटरों को एकजुट करने में मदद मिलेगी. बिहार की राजनीति सालों से जाति के खांचे में बंटी हुई है. हर जाति का एक अपना नेता है. चुनाव में हर गठबंधन जीत के लिए जातीय नेताओं का साथ और समर्थन चाहता है. फिलहाल बिहार की जातीय राजनीति में महागठबंधन बीजेपी पर भारी है और बीजेपी जब तक इसमें महागठबंधन को कमजोर नहीं करती तब तक 24 की लड़ाई मुश्किल है.
वोटों के गणित को समझना जरूरी
बिहार की राजनीति में नीतीश जब-जब साथ रहे बीजेपी को दिक्कत नहीं हुई, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश लालू के साथ हो लिये थे. 2024 में वही सीन दिख रहा है. ऐसे में वोटों के गणित को समझना जरूरी हो जाता है. तब एनडीए को 34% वोट मिले थे, जिसमें बीजेपी के 24 और सहयोगियों के 10 फीसदी वोट थे. जबकि महागठबंधन को 42% वोट मिले थे. इसमें आरजेडी के 18, जेडीयू के 17 और कांग्रेस के 7 प्रतिशत वोट थे.
इस वक्त की स्थिति में महागठबंधन बिहार में मजबूत है. इन तीनों के अलावा लेफ्ट भी इस वक्त महागठबंधन का हिस्सा है. जहां तक एनडीए का सवाल है तो फिर अभी बीजेपी के साथ चिराग पासवान की पार्टी नही हैं. उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी ताकत तौलने में लगे हैं और मांझी भी फैसला नहीं ले पा रहे.
बीजेपी के साथ कौन-कौन?
बीजेपी के साथ पशुपति पारस जरूर हैं, लेकिन उनका प्रभाव उस तरह का नहीं है जैसा उनके भतीजे चिराग पासवान का है. हां बीजेपी ने जातियों का गणित दुरुस्त करने के लिए पिछले दिनों कुशवाहा जाति के सम्राट चौधरी को अध्यक्ष बनाया, कुर्मी जाति के आरसीपी सिंह को पार्टी में शामिल किया. मांझी और मुकेश सहनी को लेकर भी पार्टी सॉफ्ट है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी पार्टी की स्थिति जातियों के गणित पर मजबूत नहीं है. ऐसे में आप मान सकते हैं कि बागेश्वर महाराज चुनाव से 300 दिन पहले बिहार में बीजेपी के लिए मानो गेम चेंजर बनकर आये हैं.
हिंदुत्व के नाम पर वोटर हो सकता है एकजुट?
बाबा जिस तरह से अपने प्रवचनों में हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, हिंदुत्व का झंडा बुलंद करते हैं. ऐसे में अगर इन नारों के जरिये बाबा ने बीजेपी के पक्ष में वोटरों को एकजुट कर दिया तो फिर जाति का बंधन टूट सकता है और हिंदुत्व के नाम पर वोटर एकजुट हो सकता है.
बीजेपी के नेताओं का आइडिया भी शायद यही है. तभी तो बीजेपी नेता बाबा के मंच पर जाकर शीश झुका रहे हैं और बाबा के भक्तों की भीड़ में अपना सियासी भविष्य देख रहे हैं, लेकिन बीजेपी के विरोधियों को बाबा का ये रूप अखड़ रहा है. बाबा के इस दौरे से पटना और आसपास के इलाकों में बीजेपी का माहौल मजबूत हो रहा है और अब बाबा का एक और कार्यक्रम सितंबर महीने में गया में निर्धारित किया गया है.
ये भी पढ़ें-
India China Meeting: भारत और चीन के सेना अधिकारियों की लद्दाख में हुई बैठक, किस बात पर हुई चर्चा?