ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने नए कुश्ती संघ को निलंबित करने के खेल मंत्रालय के फैसले का स्वागत किया है. खेल मंत्रालय ने रविवार क WFI को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. मंत्रालय ने कहा कि नव निर्वाचित संघ पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में नजर आ रहा है. यह खेल संहिता का उल्लंघन है.
बीजेपी सांसद और WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह गुरुवार को भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. मंत्रालय ने संजय सिंह समेत सभी नए चुने गए पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया. मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि संजय सिंह ने ऐलान किया था कि U15 और U20 चैंपियनशिप गोंडा में होंगी. ये फैसले WFI संविधान के प्रावधानों का पालन किए बिना जल्दबाजी में लिए गए. खेल मंत्रालय ने नए अध्यक्ष द्वारा लिए गए फैसलों को भी रद्द कर दिया है.
बजरंग पूनिया ने सरकार के सामने रखी शर्त
संजय सिंह के अध्यक्ष चुने जाने के बाद साक्षी मलिक ने कश्ती से संन्यास का ऐलान किया था. इसके अलावा बजरंग पूनिया ने भी इसके विरोध में अपना पद्मश्री लौटा दिया था. उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था. आजतक से बातचीत में बजरंग पूनिया ने कहा कि वे अपना पद्म श्री वापस लेने के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार बृजभूषण और उनके करीबियों को कुश्ती संघ से दूर रखे. पूनिया ने कहा, सरकार ने सही फैसला लिया.
उन्होंने कहा, "हम पर राजनीतिक आरोप लगाए गए. हमारी लड़ाई को हरियाणा बनाम यूपी की तरह दिखाया गया. हम देश के लिए पदक जीतते हैं. वे (बृजभूषण) सभी को धमकी दे रहे थे. क्या, बृजभूषण सरकार से बड़े हैं?" उन्होंने कहा, हमारा रुख वही है. बृज भूषण और उनके लोगों को डब्ल्यूएफआई का हिस्सा नहीं होना चाहिए. हर राज्य संघ में उनके लोग हैं.
बजरंग पूनिया ने कहा, विरोध करने वाले पहलवानों को "देशद्रोही" बताने वाले सभी लोग बृजभूषण के लिए काम कर रहे थे. हमें सरकार ने पद्मश्री दिया, क्योंकि हमने देश के लिए अच्छा किया. निश्चित तौर पर मैं अपना पद्मश्री वापस लूंगा. हमने देश के लिए खून पसीना दिया है.