Maharashtra Politics ठाकरे गुट वाली शिवसेना के मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेकर लिखे संपादकीय की आज राज्य की राजनीति में काफी चर्चा रही. संपादकीय में फडणवीस से राज्य की राजनीति में पैदा हुई कटुता को खत्म करने की गुहार लगाई गई है. इसके बाद सवाल उठ रहा है कि क्या ठाकरे गुट बीजेपी के सामने सुलह प्रस्ताव रख रहा है. क्या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना बीजेपी के साथ समझौता करना चाहती है?


ठाकरे गुट के मुखपत्र सामना में छपा संपादकीय महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा में इसलिए रहा क्योंकि ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा है कि दोनों पार्टियां अपनी दुश्मनी खत्म कर सकती हैं. सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस से राज्य की राजनीति में आई कटुता को खत्म करने का आग्रह किया गया है. बीजेपी के प्रति उद्धव ठाकरे गुट का यह रवैया वाकई में राजनीतिक गलियारों में सभी को चौंकाने वाला लग रहा है.


संपादक का आधार रहा राज्य कि राजनीति में कटुता 


आमतौर पर सामना का संपादकीय, सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत लिखा करते थे लेकिन फिलहाल वह पीएमएलए मामले में जेल की सलाखों के पीछे हैं. इसलिए माना जा रहा है कि सामना में छपा यह संपादकीय पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने ही लिखा है. सामना में छपे संपादकीय के पीछे का आधार उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस का वह बयान है जो उन्होंने पत्रकारों के साथ दिवाली मिलन के समारोह में दिया, जिसमें फडणवीस ने माना कि महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति में कटुता भरी हो गई है. इस दौरान एक पत्रकार ने फडणवीस से पूछा था कि क्या भविष्य में शिवसेना बीजेपी के साथ आ सकती है? इस पर फडणवीस ने जवाब दिया कि "मौजूदा वक्त में तो ऐसा नहीं लगता लेकिन मैं यह जरूर कह सकता हूं कि पिछले कुछ सालों में जो कुछ हुआ वह पीड़ादाई है".


2019 में आई थी भाजपा-उद्धव में दरार


साल 2019 के दिवाली मिलन समारोह में ही बीजेपी और शिवसेना के बीच दरारें खुलकर सामने आई थीं. उस वक्त देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे उन्होंने अपने आधिकारिक आवास वर्षा में दोपहर पत्रकारों को भोजन के लिए आमंत्रित किया था. विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके थे. सरकार बननी बाकी थी. स्पष्ट था कि शिवसेना और बीजेपी की सरकार बनेगी. इसी समारोह में फडणवीस ने पत्रकारों को बताया कि अमित शाह ने उद्धव ठाकरे से ढाई साल के मुख्यमंत्री का कोई वादा नहीं किया. ये जानकारी महाराष्ट्र में आग की तरह फैली और इसी वजह से उद्धव ने बीजेपी का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया था.


उद्धव ठाकरे का रुख बीजेपी को लेकर अचानक नर्म क्यों ?


अब 3 साल बाद महाराष्ट्र की राजनीति में कई घटनाक्रम हुए हैं लेकिन सवाल यह है कि उद्धव ठाकरे का रुख बीजेपी को लेकर अचानक नर्म क्यों हुआ है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जून महीने में शिवसेना में हुई बगावत के पीछे बीजेपी थी. वह इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी पार्टी को जो नुकसान पहुंचा है वह इतनी जल्दी नहीं भरा जा सकता. लिहाजा नुकसान की भरपाई करना है तो कुछ चीजें भूलकर आगे बढ़ने होगा.


उद्धव ठाकरे गुट कि इस भूमिका का शिंदे कैप स्वागत कर रहा है. हालांकि बीजेपी का कहना है कि ताली दोनों हाथों से बजती है. ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे फडणवीस से कटुता खत्म करने की बात कह रहे हैं तो यह उन पर भी लागू होता है.


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