क्या CAA के जरिए बीजेपी साधेगी पश्चिम बंगाल? केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के बयान के बाद मचा सियासी घमासान | बड़ी बातें
CAA: केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने सोमवार को दावा किया कि सीएए को एक सप्ताह के भीतर देशभर में लागू कर दिया जाएगा. माना जा रहा है कि अगर सीएए लागू हुआ तो बीजेपी को पश्चिम बंगाल में फायदा हो सकता है.
CAA Issue: लोकसभा चुनाव 2024 की चर्चा चर्चा जोरों पर है. कांग्रेस हो या बीजेपी या क्षेत्रीय दल, सभी को चुनाव रूपी परीक्षा में पास होना है उसके लिए प्लान बनने लगे हैं और एक्सपेरिमेंट भी हो रहे हैं. 28 दिसंबर को इसकी एक बानगी बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम से देखने को मिली.
बिहार में सरकार बदल गई लेकिन सीएम नहीं. अब आगे की क्या तैयारी है. ये समझने के लिए कुछ सवाल और उनके संभावित जवाब समझते हैं. सवाल है कि यूपी की 80 सीटों के लिए बीजेपी ने क्या तैयारी की, जीत कैसे मिलेगी? जवाब हो सकता है- राम मंदिर का वादा पूरा हुआ.
अगला सवाल है कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए का क्या फॉर्मूला निकाला? जवाब हो सकता है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न और नीतीश के साथ नया गठबंधन. तीसरा सवाल थोड़ा कठिन है क्योंकि कॉम्पिटिशन ज्यादा है. पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए अब बीजेपी क्या करेगी? माना जा रहा है कि इसका जवाब सोमवार (29 जनवरी) को केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने दे दिया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) लागू कर देंगे.
बता दें कि वर्ष 2019 में केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से लाए गए सीएए का उद्देश्य 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित प्रताड़ना झेल चुके गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.
शांतनु ठाकुर क्या बोले?
केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा, ''मैं गांरटी देता हूं कि देशभर में 7 दिन के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो जाएगा. पश्चिम बंगाल ही नहीं, देशभर में अगले 7 दिन के अंदर CAA लागू हो जाएगा.''
सवाल टाइमिंग को लेकर है क्योंकि दो बड़े राज्यों की 120 सीटें साधने के बाद बीजेपी का अब मुकाबला ममता बनर्जी से है. पिछले लोकसभा चुानव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में बंपर सीटें हासिल की थी लेकिन इस बार स्ट्रेटजी क्या रहेगी?
तीन जनवरी को एबीपी न्यूज ने खबर दिखाई थी कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू किया जा सकता है. अब इस दिशा में बीजेपी ने आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. सोशल एक्टिविस्ट भी इसके खिलाफ आगे आने लगे हैं.
देश की मांग है सीएए- गिरिराज सिंह
इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ''देश की मांग है सीएए... सीएए ही नहीं, अब देश की जरुरत है एनआरसी. राशन लेना होगा तो आधार देंगे और एनआरसी होगा तो विरोध करेंगे, यह नहीं चलेगा...''
विरोध जारी रहेगा- उज्मा परवीन
इस बीच सीएए और एनआरसी का विरोध करने वालीं उज्मा परवीन ने कहा, ''एनआरसी का काला कानून दोबारा लाने की कोशिश की जा रही है. अगर दोबारा कानून लाने की कोशिश की जाएगी तो मैं उसी जगह मिलूंगी जहां से शुरुआत हुई थी. हमारे हौसले टूटे नहीं है. हमारा संवैधानिक अधिकार है कि अगर देश में कुछ गलत हो रहा हो तो आवाज उठा सकते हैं. हमारी ओर से शांतिपूर्ण विरोध फिर से जारी रहेगा और हमारे हौसले कमजोर नहीं है.''
सीएए लागू करने से पश्चिम बंगाल में कितनी सीटों पर इसका असर पड़ सकता है, ये समझने के लिए उस घटनाक्रम को याद कीजिए जब 2019 के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल में प्रचार कर रहे थे, उसी दौरान वह ठाकुर नगर पहुंचे थे और मतुआ समुदाय के लोगों से मिले थे. यही से बीजेपी और मतुआ समाज का रिश्ता गहरा होता चला गया.
पश्चिम बंगाल की सियासत में मतुआ फैक्टर
पश्चिम बंगाल की सियासत में मतुआ फैक्टर का क्या मतलब क्या मतलब है, यह जानना जरूरी है. मतुआ समाज अनूसूचित जाति में आता है. बंगाल में 2 करोड़ 14 लाख दलित वोटर हैं. इनमें 35 लाख यानी करीब 16 फीसदी मतुआ वोटर हैं. पश्चिम बंगाल के 3 जिलों उत्तर परगना, दक्षिण परगना और नादिया में मतुआ मतदाता सबसे ज्यादा हैं. विधानसभा की 21 और लोकसभा की 6 सीटों पर ये जीत-हार तय करते हैं. 1947 के बाद से ही ये लोग तब के ईस्ट बंगाल से यहां आकर बसने लगे थे.
यही वजह है कि बीजेपी हो या फिर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, इस वोट बैंक को साधने की हर कोई कोशिश करता आया है. अब जैसे ही सीएए वाला बयान आया, ममता बनर्जी ने सीएए और एनआरसी को लेकर तेवर दिखाना शुरू कर दिया.
ममता बनर्जी ने क्या कहा?
सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ''लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके नाम मतदाता सूची में हैं ताकि बीजेपी को एनआरसी का हवाला देकर उन्हें हटाने का मौका न मिले...''
अब सवाल है कि सीएए के आने से बीजेपी को पश्चिम बंगाल में कैसे फायदा होगा तो इसके दो तीन बड़े कारण हैं. 2011 के बाद मतुआ समाज की जनगणना नहीं हुई. कई ऐसे हैं जिन्हें अभी तक नागरिकता नहीं मिली, वे शरणार्थी बनकर रह रहे हैं. अगर नए कानून के तहत नागरिकता मिल जाएगी तो बीजेपी इसे चुनावी वादे के तौर पर भुना सकती है.
अब ऐसे में अगर ममता बनर्जी सीएए कानून को लागू नहीं होने देती हैं और किसी तरह देरी करती हैं तो फिर बीजेपी उन पर मुस्लिम परस्ती का आरोप लगाकर जनता के बीच जा सकती है. इसीलिए बीजेपी सीएए को लेकर फ्रंट फुट पर है और ममता बनर्जी की पार्टी समेत दूसरे दल मुस्लिम वोट को साधने की तैयारी में दिख रहे हैं.
ऐसे हवा-हवाई फायर बहुत दिनों से हो रहे- कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी
इस बीच कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ''ये मंत्रिमंडल का निर्णय होता हैं. ऐसे हवा-हवाई फायर बहुत दिनों से हो रहे हैं. अगर एक हफ्ते के अंदर आएगा तो पहले संसद में ड्राफ्ट लाना होता है, उसके बाद ही देखकर हम कुछ कह सकते हैं.''
नागरिक को दुबारा नागरिकता नहीं दी जाती- शशि पांजा
पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री शशि पांजा ने कहा, ''सीएए की जरुरत भी नहीं है और यह लागू भी नहीं होगा बंगाल में. नागरिक को दुबारा नागरिकता नहीं दी जाती है.''
माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में अगर लोकसभा चुनाव तमाम मुद्दों के अलावा हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर लड़ा गया तो हिंदू वोट एकजुट हो सकता है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
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