भोपाल: मोदी सरकार को सत्ता में आए 1000 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है. 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं लेकिन इन लोकसभा चुनावों से पहले एमपी में 2018 के आखिरी में विधानसभा चुनाव होंगे.


मध्य प्रदेश की राजनीति में कोई तीसरा विकल्प है नहीं. यानी लड़ाई यहां बीजेपी और कांग्रेस में ही होनी है. मोदी के कार्यकाल के तीन साल बाद सवाल ये है कि क्या 2019 में भी वही होगा जो 2014 में हुआ था.


मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं. बीजेपी ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस महज 2 सीटों पर सिमट गई थी. साल 2013 में जब मोदी युग की शुरुआत नहीं हुई थी तब बीजेपी ने मध्य प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाई थी. उस वक्त 2013 में बीजेपी को 45 फीसदी वोट मिले थे लेकिन 2014 में ये 55 फीसदी हो गया. यानी छह महीने में ही मोदी के नाम पर दस फीसदी वोटों का इजाफा हो गया.

मोदी के भक्त बने शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह चौहान को आडवाणी कैंप का माना जाता रहा है लेकिन मोदी का जलवा देखने के बाद शिवराज ने भी पाला बदल लिया और मोदी के रंग में खुद को पूरी तरह से रंग लिया. स्थिति ये है कि बीजेपी की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को समझते हुए शिवराज पूरी तरह से मोदी भक्त बन चुके हैं. मोदी के तीन साल के कार्यकाल की तारीफ में शिवराज अद्भुत और अभूतपूर्व जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं.


कई गुटों में बंटी हुई है कांग्रेस 
वैसे कांग्रेस नहीं मानती कि मोदी ने मध्य प्रदेश के भले के लिए कुछ किया है. कांग्रेस के नेता कहते हैं कि यहां सिर्फ पब्लिसिटी की राजनीति हो रही है. कांग्रेस भले ही मोदी को कोस रही है लेकिन धरातल पर कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है .कांग्रेस यहां कई गुटों में बंटी हुई है. जानकार कहते हैं कि जो हाल है उसे देखकर लगता नहीं कि कांग्रेस यहां आगे मोदी को चुनौती देने की हालत में है.

अभी की स्थिति में कांग्रेस की कमजोरी बीजेपी के लिए वरदान है. जानकार कहते हैं कि आगे के चुनावों में शिवराज की वजह से नुकसान हो रहा होगा तो भी मोदी का नाम उस नुकसान की भरपाई कर देगा.


मोदी की ये यात्रा है बेहद खास
मोदी 15 तारीख को नर्मदा यात्रा के लिए मध्य प्रदेश जा रहे हैं. पंद्रह दिन पहले से ही उनकी तस्वीरों वाले बड़े बड़े पोस्टर शहर में पटे पड़े हैं. मोदी भक्ति का आलम ये है कि लाल बत्ती हटाने की बात हो या फिर वित्त वर्ष बदलने की बात. शिवराज न सिर्फ मोदी की योजनाओं को प्रमुखता से फौरन लागू कर रहे हैं बल्कि पार्टी को मिलने वाली हर छोटी बड़ी खुशी का श्रेय भी पीएम मोदी को ही दिया जा रहा है. कुल मिलाकर पार्टी की राजनीति जो भी हो मोदी अभी तमाम विरोधियों पर बीस साबित हो रहे हैं. यानी 2019 के लिए मध्य प्रदेश में मोदी के मुकाबले कोई खड़ा इस वक्त तो नहीं ही दिख रहा है.


क्या कहते हैं 2014 के नतीजे ?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मध्य प्रदेश में 29 में से 27 सीटें मिली थी. यहां की जनता मोदी को भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा दुश्मन मानती है और यही वजह कि 3 साल बाद भी मोदी लोगों के चहेते बने हैं.


इतना ही नहीं एमपी में पिछले तीन बार से बीजेपी की सरकार है, यानी एक बात तो साफ है कि मध्य प्रदेश बीजेपी का मजबूत किला बन गया है. लेकिन अब कुछ आम मतदाता हैं जो मोदी से खुश नहीं हैं, उन्हें मोदी का काम धरातल पर नजर नहीं आता.


अगर मध्य प्रदेश की जनता की बातों का सार निकाला जाए तो ज्यादातर लोग अब भी मोदी के पक्ष में हैं. लेकिन जो लोग खुश नहीं दिख रहे हैं उन्हें अगर खुश नहीं किया गया तो 2014 का नतीजा मध्य प्रदेश में दोहरा पाना आसान नहीं होगा.