नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का जिक्र करते हुए इशारों-इशारों में कांग्रेस पर हमला किया. उन्होंने बुधवार को कहा कि देश में एक जमात ने डा. बीआर अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसी महान विभूतियों की ‘प्रतिकूल छवि’ गढ़ने का प्रयास किया और कई पूर्व प्रधानमंत्रियों की स्मृतियों को मिटाने का प्रयास किया.


प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने ‘ठान’ लिया है कि दिल्ली में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की स्मृति में एक बहुत बड़ा आधुनिक संग्रहालय (म्यूजियम) बनाया जाएगा. इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों, संबंधियों और मित्रों से उनसे जुड़ी चीजों को साझा करने को कहा.


राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की नई पुस्तक ‘‘चंद्रशेखर - द लास्ट आइकान ऑफ आइडियोलॉजिकल पालिटिक्स’’ का संसद भवन लाइब्रेरी में विमोचन करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम किसी से पूछें कि कितने प्रधानमंत्री हुए, वे कौन कौन हैं..तब कम लोग ही इनके बारे में पूरा बता पायेंगे .


उन्होंने कहा, ‘‘देश के इन प्रधानमंत्रियों को प्रयत्नपूर्वक भूला दिया दिया गया, जबकि हर किसी का योगदान रहा. लेकिन एक जमात है, कुछ लोग हैं जिनको सभी अधिकार प्राप्त है, रिजर्वेशन है.’’ मोदी ने कहा कि देश में एक जमात ने डा. अंबेडकर, सरदार पटेल जैसी महान विभूतियों की प्रतिकूल छवि गढ़ने का प्रयास किया.


उन्होंने सवाल किया, ‘‘लाल बहादुर शास्त्री अगर जीवित लौटकर आते तो यही जमात उनके साथ क्या क्या करती? उन्होंने कहा कि एक प्रधानमंत्री के बारे में चर्चा की गई कि वे क्या पीते हैं, एक प्रधानमंत्री के बारे में धारणा बनाई गई कि वे बैठक में नींद लेते हैं.'' मोदी ने कहा, ‘‘ आप सबके आशीर्वाद से मैंने ठान लिया है कि दिल्ली में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की स्मृति में एक बहुत बड़ा आधुनिक संग्रहालय बनाया जाएगा. ’’


उन्होंने इस संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, आई के गुजराल, चंद्रशेखर, मनमोहन सिंह का भी जिक्र किया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिजनों, संबंधियों एवं मित्रों से उनसे जुड़ी चीजों को साझा करने को कहा. चंद्रशेखर की पदयात्रा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज छोटा-मोटा कोई नेता भी 10-12 किमी की पदयात्रा कर ले तो तो 24 घंटे खबरों में बना रहेगा.





मोदी ने कहा, ‘‘चंद्रेशखर जी ने चुनाव के दौरान नहीं, बल्कि गांव, गरीब, किसान को ध्यान में रखकर पदयात्रा की. लेकिन देश ने उन्हें जो गौरव देना चाहिए था, वो नहीं दिया . हम चूक गए .’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस समय कांग्रेस का सितारा चमक रहा हो, ‘‘उस समय वो कौन सी प्रेरणा रही होगी कि एक व्यक्ति ने कांग्रेस से बगावत का रास्ता चुन लिया.’’


उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर के विचारों को लेकर किसी को भी एतराज हो सकता है. ‘‘लेकिन जान बूझकर और सोची समझी रणनीति के तहत चंद्रशेखर की यात्रा को डोनेशन, करप्शन, पूंजीपतियों के पैसे, इन सभी के इर्द-गिर्द रखा गया. ये सब हमें अखरता है .’’


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उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर हमेशा अटल बिहारी वाजेपयी को ‘‘गुरु जी’’ कहकर बुलाते थे और सदन में भी अगर बोलते थे तो पहले अटल जी से कहते थे, ‘‘गुरु जी, मुझे माफ़ करिये, मैं आज जरा आपकी आलोचना करूंगा .’’ इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि चंद्रशेखर सदैव विचार, व्यवहार और आचरण में मर्यादा के कायल रहे. वरिष्ठों और सहयोगियों के प्रति आदर, कनिष्ठों के प्रति स्नेहिल सद्भाव, आचरण में मर्यादित सौम्यता और बराबरी का व्यवहार, चंद्रशेखर की जीवन शैली की नैसर्गिक प्रवृत्ति रहे.


राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि चंद्रशेखर हमेशा देश के लिये सोचते थे. उनका अपनाया रास्ता लम्बा था लेकिन उस रास्ते पर चलने के लिये उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. आजाद ने कहा कि उन्होंने समाजवाद का नारा लगाया और आखिरी दम तक उसके लिये संघर्ष करते रहे.


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