नई दिल्ली: जनसंख्या नियंत्रण को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता जीतिन प्रसाद ने बहस छेड़ दी है. जितिन प्रसाद ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इसे लेकरकानून लाए जिससे आने वाली पीढ़ी के लिए हम मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित कर सकें.


देशहित का हवाला देते हुए जितिन प्रसाद ने जनसंख्या नियंत्रण को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है. इससे पहले एक सितम्बर को पहली बार जितिन ने ट्वीट कर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चर्चा कराने की बात शुरू की थी और आज एकबार फिर उन्होंने इस मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मोदी सरकार को इस मुद्दे पर बहस करवा कर कानून बनाना चाहिए.


इसके साथ ही जीतिन प्रसाद ने कांग्रेस के लोगों को भी याद दिलाया कि 1998 में कांग्रेस ने पंचमढ़ी शिविर में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर व्यापक बहस और पॉलिसी बनाने की बात कही थी. जितिन ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि मैं सभी पार्टियों से अपील करता हूं कि इसे देश का मुद्दा बनाए जाए, इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए.


जिस पचमढ़ी शिविर का जितिन प्रसाद हवाला दे रहे हैं उसमें पार्टी ने बड़ा फैसला लिया था. इस फैसले के मुताबिक 1 जनवरी 2000 के बाद से किसी भी कांग्रेस नेता के अगर 2 बच्चे से ज्यादा होते हैं तो उन्हें न तो पार्टी में कोई पद दिया जाएगा और न ही उन्हें चुनाव में टिकट दिया जाएगा. जितिन प्रसाद की ओर से यह मुद्दा उठाए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी में हलचल बढ़ गई है. अब देखना होगा कि पार्टी उनका कितना समर्थन करती है.


क्या है जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कांग्रेस के पंचमढ़ी शिविर (1998) का प्रस्ताव ?
इस प्रस्ताव के मुताबिक हर कांग्रेसी कार्यकर्ता 10 परिवारों को 2 बच्चों तक अपने परिवार को सीमित रखने के लिए प्रेरित करेगा. पार्टी जनसंख्या नियंत्रण को अपने भविष्य के कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा बनायेगी. पार्टी ने ये तय किया था कि संविधान में बदलाव लाने पर चर्चा के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा.


प्रस्ताव के मुताबिक जनसंख्या नियंत्रण पर कोई फैसला करते वक्त सरकार सभी पक्षों से व्यापक चर्चा करे और धर्मनिरपेक्षता और संसदीय व्यवस्था के साथ कोई छेड़छाड़ न हो. सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई भी फैसला लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों से सलाह करे.