नई दिल्ली: क्या कोरोना की वैक्सीन आने पर उन लोगों को भी दी जाएगी, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और जिनके शरीर में एंटीबॉडी बन चुका है. ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो वैक्सीन की आने की खबर के बाद से पूछे जा रहे हैं. यही सवाल भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर से भी पूछा गया. जिस पर उन्होंने स्पष्ट तौर पर तो नहीं कहा कि कोई फैसला हुआ है, लेकिन ये ज़रूर बताया कि इसको लेकर चर्चा चल रही.


सरकार का कहना है कि इस बारे में ना सिर्फ नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन में बल्कि दुनिया भर के वैज्ञानिक कम्युनिटी में भी चर्चा हो रही है. राजेश भूषण ने कहा, "वैक्सीनेशन के लिए नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप है, जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ बीके पाल करते हैं. उनके मैंडेट में एक मैंडेट यह भी है. इसके बारे में विश्व के अनेक देश सोच रहे हैं. क्या आपको यह देखना चाहिए वैक्सीनेशन के समय जिस व्यक्ति को आप वैक्सीनेट कर रहे हैं उसमें एंटीबॉडी है या नहीं है. इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन यह वैज्ञानिक कम्युनिटी में और देशों के बीच में भी चर्चा का विषय है."


वहीं इस बारे में आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डॉ बलराम भार्गव का कहना था "इसमें दो विषय हैं, पहला अगर किसी के शरीर में एंटीबॉडी है और अगर आप इसे वैक्सीन देते हैं, क्या उसके शरीर में कोई वैक्सीन को लेकर एडवर्स इफेक्ट हो सकता है. दूसरा कि अगर हम एंटीबॉडी मेजर करते हैं और फिर क्या हम उस व्यक्ति को वैक्सीन नहीं देकर उस वैक्सीन को बचा सकते हैं. यह दो महत्वपूर्ण बिंदु है. पहले वाले पर बहुत सारे डेटा है कि ऐसा कोई एडवर्स इफेक्ट नहीं होता लेकिन इस बारे में दुनिया भर में डिस्कशन हो रहा है. डब्ल्यूएचओ ने सभी सोलिडारिटी टीका परीक्षण में स्पष्ट रूप से कहा है कि हमें एंटीबॉडी को मापने की आवश्यकता नहीं, यहां तक ​​कि यह पता लगाने के लिए कि व्यक्ति कोविड संक्रमित था हम आगे जा सकते हैं और वैक्सीन दे सकते हैं."


इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि जल्द ही दुनिया को कोरोना के खिलाफ वैक्सीन मिल जाएगी. तीन वैक्सीन इस रेस में आगे चल रही है, लेकिन कौन सी पहले आएगी और कब, ये अभी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन आने पर किसे और कैसे देना है, इसको लेकर चर्चा तेज है फिर चाहे वो भारत हो या कोई और देश. ऐसे में ये सवाल भी है कि जिनको संक्रमण हुआ है और एंटीबॉडी मौजूद है क्या उन्हे ये वैक्सीन दी जाएगी या नहीं, जिस पर चर्चा जारी है.


वहीं आज सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सचिव ने साफ कर दिया कि भारत की पूरी आबादी को टीकाकरण करने की भारत सरकार ने बात नहीं कही थी. ट्रांसमिशन रोकने के लिए सबको कोरोना का टीका लगाने की जरूरत नहीं है.


आपको बता दे भारत में इस समय पांच वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं, जो कि अलग चरण में हैं. जिसमे दो वैक्सीन तीसरे चरण में, ये है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जिसका सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ट्रायल कर रही है और दूसरी है भारत बायोटेक और आईसीएमआर की वैक्सीन. वहीं रूस की वैक्सीन स्पूतनिक 5 का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है. इसके अलावा जाइडस कैडिला की वैक्सीन का दो फेस का ट्रायल हो चुका है. वहीं एक वैक्सीन का ट्रायल शुरूआती दौर में है.


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