क्या ड्रोन से होगी कोविड-19 वैक्सीन की डिलीवरी? भारत सरकार ने ICMR को दिया रिसर्च का जिम्मा
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपने सख्त ड्रोन नियमों से संभावना तलाशने के लिए 'सशर्त छूट' दी है. लेकिन क्या ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए डिलीवरी का प्रयास वैक्सीन के लिए खतरा है? ICMR को इसका रिसर्च करने का जिम्मा सौंपा गया है.
देश में कोविड-19 के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने गुरुवार को बड़ा फैसला लिया. उसने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को ड्रोन का इस्तेमाल कर कोविड-19 वैक्सीन डिलीवरी की संभावना तलाशने की इजाजत दे दी. मंत्रालय की प्रेस रिलीज के मुताबिक, ICMR को आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर व्यावहारिक रिसर्च करने को कहा गया है.
क्या ड्रोन से होगी कोविड-19 वैक्सीन की डिलीवरी?
मंत्रालय ने बताया कि उसने हाल ही में जारी मानव रहित विमान प्रणाली नियम, 2021 से 'सशर्त छूट' रिसर्च करने के लिए दिया है. उसके जरिए ये पता लगाना है कि क्या ड्रोन का इस्तेमाल कोविड-19 वैक्सीन की डिलीवरी के लिए किया जा सकता है. छूट एक साल के लिए वैध होगी या प्राधिकरण की अगली नोटिस तक. मानव रहित विमान प्रणाली नियम, 2021 मार्च 2021 में जारी किए गए थे, जिसमें बताया गया था कि भारत का ड्रोन ढांचा अभी डिलीवरी के लिए तैयार नहीं है.
ICMR को संभावना तलाशने की मिली इजाजत
भारतीय ड्रोन उद्योग सरकार के लगाए नियमों का आलोचक रहा है. भारत में ड्रोन उड़ाने को लंबी स्वीकृति की आवश्यकता होती है और उल्लंघन करनेवालों के खिलाफ 5,00,000 रुपए जुर्माने तक का प्रावधान है. न सिर्फ ये बल्कि भारत में कानूनी रूप से ड्रोन उड़ाना भारत में आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है, नियम और ढांचा भी ड्रोन के अनुकूल होने से दूर हैं. लाइसेंस हासिल करने के लिए पायलट को भारी खर्च उठाने की जरूरत होती है, प्राधिकरण की तरफ से निर्धारित मानकों के मुताबिक ड्रोन हासिल करना भी दुर्लभ और महंगा है और बीमा लाजिमी है, जो उसे भारत में ड्रोन को कराना और ज्यादा खर्चीला बनाता है.
ड्रोन की मदद से मेडिकल सहायता पहुंचाना या वैक्सीन वितरित करना नया विचार नहीं है. पहले ये बात होती रही है कि ड्रोन दूर दराज जगहों में अत्यधिक मददगार हो सकता है जहां उचित ढांचा, ठीक सड़क और कनेक्टिविटी की कमी है. ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए सामानों की डिलीवरी का विचार आम तौर से फूड और पैकेज की डिलीवरी तक सीमित नहीं है. ड्रोन के हजारों सकारात्मक पहलू हैं जो समय, पैसा, मानव श्रम का इस्तेमाल बड़े उद्देश्य के लिए किया जा सकता है. उसका इस्तेमाल कृषि प्रबंधन, वन्य जीव संरक्षण और जंगल की आग का पता लगाने जैसे बड़े कामों में किया जाता रहा है.
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