क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल एसेट, नॉन फाइनेंशियल टोकन, डिजिटल फाइनेंसिंग....ये ऐसे शब्द हैं, जिन्हें आप इन दिनों सुनते तो खूब हैं लेकिन इनके कारोबार और कामकाज को समझते बहुत कम हैं. जब कहा जा रहा हो कि यही शब्द भविष्य में मुद्रा कारोबार का भविष्य हैं तो जाहिर है इसे जानने की इच्छा भी होती है और कई सवाल भी जागते हैं.


डिजिटल धन पर अपने ऐसे ही कई सवालों को लेकर हम पहुंचे अमेरिका के न्यूजर्सी, जहां दुनिया का चौथा सबसे बड़ा डिजिटल करेंसी एक्सचेंज काम करता है जिसका नाम है क्रॉस टावर. साथ ही इसकी एक खूबी यह भी है कि इसको बनाने वाले संस्थापक और सीईओ कपिल राठी एक भारतीय अमेरिकी हैं. अमेरिकी धनबल का नर्व सेंटर कहलाने वाले वॉल स्ट्रीट पर बरसों तक काम कर चुके कपिल कहते हैं कि दुनिया में कारोबार के तरीके तेजी से बदल रहे हैं और भारत उससे अछूता नहीं है.


'डिजिटल मनी कारोबार के लिए भारत में संभावनाएं'


हालांकि कपिल इस बात पर ज़ोर देते हैं कि दुनिया के डिजिटल मनी कारोबार में भारत के पास प्रचुर संभावना है. उनकी अपनी कंपनी भारत को डिजिटल संपदा विनिमय के लिए 1.1 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 83965 अरब रुपये का बाजार मानती है. क्रॉस रोड दुनिया में काम कर रहे एक हज़ार से भी अधिक डिजिटल एसेट एक्सचेंज में से एक है  जहां अलग-अलग क्रिप्टो करेंसी खरीदी और बेची जाती है, उसका कारोबार होता है.


हालांकि खाली से ऑफिस और महज़ कुछ एक कर्मचारियों के साथ नज़र आ रहे इस एक्सचेंज में कारोबार बराबरी और तेज़ी के साथ चल रहा है. बिटकॉइन, एथेरियम समेत अलग-अलग क्रिप्टो कॉइन खरीदे-बेचे जा रहे हैं.


हमने जब पूछा कि क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल मनी को लेकर भारत में आम लोगों के मन में क़ई सवाल हैं, डर है, आशंकाएं हैं. क्या यह सुरक्षित है? क्या इसमें आम लोगों के लिए कारोबार की कोई जगह है. कपिल बड़े कॉन्फिडेंस के साथ इनका जवाब हां में देते हुए कहते हैं कि ब्लॉकचेन तकनीक पारदर्शिता पर आधारित है. इसलिए इसमें आपका पैसा सुरक्षित है. इसपर जानकारी के अभाव नियमन को लेकर थोड़ी अस्पष्टता के कारण लोगों में डर है. लेकिन अधिक पारदर्शिता के साथ जब धीरे धीरे नियमन साफ हो जाएगा तो लोगों का भरोसा और बढ़ेगा.


भारत की बड़ी आबादी युवा है


भारत के पास एक खासियत है कि उसकी आबादी युवा है और नई तकनीकों को अपनाने के मामले में बेहतरीन है. भारत में इसके लिए बहुत संभावनाएं और सुविधाएं भी हैं. मिसाल के तौर पर जमीन के रिकॉर्ड अगर ब्लॉक चेन पर हो जाते हैं या स्वास्थ्य रिकॉर्ड इस तकनीक से स्टोर किया जाता है तो जानकारी से छेड़छाड़ करना या बदलना बेहद मुश्किल होता है. वहीं ज़रूरत के वक्त उसे हासिल करना आसान हो जाता है. इसलिए आम उपभोक्ता की सहूलियत है. कपिल के मुताबिक भारत एक संभावनाओं भरा बाज़ार है. इसलिए उनकी कंपनी ने अमेरिका के बाद अपना सबसे बड़ा दफ्तर भारत में ही खोला है.


भारत ने डिजिटल एसेट को मान्यता दी है. सरकार उसपर टैक्स लगा रही है क्योंकि वो भी मानती है कि इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है. यह नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया में सबसे ज़्यादा क्रिप्टो करेंसी उपभोक्ता भारत में ही हैं. वहीं जहां तक क्रिप्टो की मान्यता का सवाल है तो यह समझना होगा कि क्रिप्टो अभी भी बड़े देशों की मुद्रा का विकल्प नहीं हो सकता.


भारत में डिजिटल करेंसी के फायदे


हालांकि भारत जैसे बड़े देशों के लिए भी डिजिटल करेंसी के अपने फायदे हैं क्योंकि इससे सरकार के लिए भी लाभार्थी तक सीधे और कम समय में पैसे पहुंचाना आसान होगा. वित्तीय धोखाधड़ी को रोकना आसान बनेगा. क्योंकि डिजिटल वॉलेट में रखे धन को रेगुलेटर चाहेगा तो ज़ीरो कर देगा.


डिजिटल करेंसी का एक लाभ यह भी है कि भारत का किसान अगर चाहे तो अपनी खेती के लिए अमेरिका से भी लोन उठा सकेगा. यानी उसके लिए विकल्प खुल जाएंगे. क्रॉस टावर जैसे एक्सचेंज उनकी डिजिटल करेंसी को फिजिकल एसेट में भी बदल सकेंगे.


क़ई तरह की डिजिटल करेंसी काम कर रही है. साथ ही एनएफटीई यानि नॉन फ़ंजिबल टोकन का भी इस्तेमाल होंके जरिए अब फ़िल्म फाइनेंसिंग भी हो रही है. एनएफटी भारत के शानदार कारीगरों और कलाकारों के लिए सौगात है. क्योंकि इनके जरिए वो अपने कला सृजन का एक हिस्सा बिना उस कलाकृति को फिजिकल तरीके के बेचे बिना भी उसे शेयर की तरह बेच सकते हैं. उसे अमेरिका में बैठा शख्स भी खरीद औऱ बेच सकता है.


एनएफटी के जरिए फाइनेंसिंग का बड़ा प्रयोग हॉलीवुड की फ़िल्म अंतारा के साथ क्रॉस रोड एक्सचेंज कर रहा है. इसके जरिए प्रशंसक या इसमें रुचि रखने वाले लोग उसका एक हिस्सा बन सकते हैं. चाहें तो फ़िल्म में काम भी कर सकते हैं. यानी फ़िल्म बनने के बाद नहीं बल्कि उससे पहले ही उसका अनुभव शुरू कर सकते हैं. लिहाजा डिजिटल मनी का नया तानाबाना बनाने की यह कवायद पूरी दुनिया में वित्तीय कामकाज को और लोकतांत्रिक बनाने की कवायद है.


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