क्या अब धौला कुआं में मस्जिद और कब्रिस्तान पर चलेगा DDA का बुलडोजर? जानें हाई कोर्ट का निर्देश
DDA ने दिल्ली के धौला कुआं स्थित 100 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिद, कब्रिस्तान और एक विद्यालय के खिलाफ कार्रवाई करने पर लगी रोक हटाने का अनुरोध अदालत से किया है.
DDA Action: दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) हाल में मेहरौली इलाके की करीब 800 साल पुरानी बताई जाने वाली मस्जिद को ढहाने के बाद अब एक और मस्जिद और कब्रिस्तान को हटाने की तैयारी कर रहा है.
डीडीए की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करके स्टे हटाने की मांग भी कई गई है. वहीं हाई कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार (14 फरवरी) को डीडीए की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी के धौला कुआं स्थित 100 साल से ज्यादा पुरानी एक शाही मस्जिद, एक कब्रिस्तान और एक विद्यालय के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया गया है.
डीडीए ने क्या कहा?
डीडीए ने कहा कि यह क्षेत्र सेंट्रल रिज का हिस्सा है और संरक्षित वन क्षेत्र है, जहां आवासीय और वाणिज्यिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं. इसमें यह भी कहा गया कि दिल्ली सरकार की धार्मिक समिति ने वहां अतिक्रमण हटाने की मंजूरी दे दी है.
हाई कोर्ट ने दिया था ये निर्देश
इससे पहले हाई कोर्ट ने तोड़फोड़ की आशंका वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों को संबंधित मस्जिद, कब्रिस्तान और स्कूल के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था.
जस्टिस सचिन दत्ता ने बाग मोची के पास स्थित शाही मस्जिद और कब्रिस्तान कंगाल शाह की प्रबंध समिति को नोटिस जारी किया था और डीडीए के आवेदन पर 10 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था. समिति इस मामले में याचिकाकर्ता थी. डीडीए ने दो नवंबर, 2023 को लगाई गई रोक को हटाने के लिए याचिका दायर की है.
सुनवाई के दौरान अदालत ने क्या कुछ कहा?
सुनवाई के दौरान अदालत ने डीडीए के वकील से जानना चाहा कि क्या अतिक्रमण में मस्जिद भी शामिल है और अधिकारी किस आधार पर मस्जिद को हटाने पर विचार कर रहे हैं. अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 29 फरवरी की तारीख तय की और डीडीए के वकील को उस दिन यह बताने को कहा कि प्राधिकरण किस आधार पर मस्जिद के खिलाफ कार्रवाई करना चाहता है.
अदालत ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि अगर मस्जिद इतने लंबे समय से अस्तित्व में है तो आप किस कानून के तहत इसे हटाना चाहते हैं.’’ अतिक्रमण के मुद्दे पर अदालत ने स्पष्ट किया कि रिज की पवित्रता बनाए रखनी होगी और किसी को भी वन क्षेत्र पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जिस क्षेत्र में मस्जिद स्थित है, वहां कोई अतिक्रमण नहीं है. अदालत ने यह भी पूछा कि क्या धार्मिक समिति उस ढांचे को हटा सकती है जो पुराना है और पिछले 50-60 वर्षों से अस्तित्व में है. बता दें कि इससे पहले 30 जनवरी को डीडीए ने मेहरौली इलाके में मदरसा और कुछ कब्रों समेत 800 साल पुरानी मस्जिद को ढहा दिया था. डीडीए ने उन्हें अवैध रूप से बनाया गया करार दिया था.
(भाषा इनपुट के साथ)
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