नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से सवाल करते हुए पूछा है कि क्या दिल्ली विधानसभा के सचिव प्रसन्न कुमार सूर्यदेवरा के बिना विधानसभा बंद हो जाएगी. कोर्ट ने ये सवाल तब पूछा जब स्पीकर ने सूर्यदेवरा के तबादले के मुद्दे पर झूकने से इंकार कर दिया था.
आपको बता दें कि उप-राज्यपाल की ओर से सूर्यदेवरा को उनकी मूल संस्था आकाशवाणी (एआईआर) में वापस भेजे जाने के फैसले को स्पीकर राम निवास गोयल ने अदालत में चुनौती दी है.
न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने कहा, ‘‘क्या उनके बगैर विधानसभा बंद हो जाएगी ? आपको (स्पीकर को) उनके लिए आकर क्यों लड़ना पड़ा?’’ पीठ ने कहा, ‘‘कोई भी अधिकारी इतना अहम नहीं होता कि दो वरिष्ठ पदाधिकारी उसके मुद्दे पर लड़ रहे हैं.’’ न्यायालय ने यह टिप्पणी स्पीकर की इस दलील पर की कि यदि सूर्यदेवरा को आकाशवाणी में वापस नहीं भेजा गया तो आकाशवाणी बंद नहीं हो जाएगी.
उच्च न्यायालय ने गोयल की वह अर्जी भी नामंजूर कर दी जिसमें आकाशवाणी में सूर्यदेवरा के खिलाफ चल रही एकतरफा अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी. आकाशवाणी को अपनी सेवाएं नहीं देने और ‘नाइदर ऑफिस, नॉर प्रॉफिट’ शीषर्क वाला आलेख लिखने को लेकर सूर्यदेवरा के खिलाफ आकाशवाणी में कार्यवाही चल रही है.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पहले दिन से ही मैंने आपसे :स्पीकर से: कहा कि मैं आपको उनकी (सूर्यदेवरा की) लड़ाई लड़ने की इजाजत नहीं दूंगा.’’ न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि सूर्यदेवरा अपने खिलाफ चल रही अनुशासनिक कार्यवाही से पीड़ित हैं तो वह अलग अर्जी दाखिल कर सकते हैं .
सूर्यदेवरा के वकील ने कहा कि वह ‘‘दो आकाओं के बीच पिस रहे हैं’’ और ‘‘यह ऐसी लड़ाई है जो मुझ पर थोप दी गई है.’’ इस बीच, उप-राज्यपाल कार्यालय की तरफ से पेश हुए वकील नौशाद अहमद खान ने अदालत को बताया कि अधिकारी को आकाशवाणी वापस भेजने का फैसला एक बार फिर किया गया है .
वकील ने कहा कि उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने अपने पूर्ववर्ती नजीब जंग की ओर से लिए गए फैसले से असहमति जताने से 20 मार्च को इनकार कर दिया .
इससे पहले, अदालत ने यह फैसला करने की जिम्मेदारी बैजल पर छोड़ दी थी कि वह सूर्यदेवरा को विमुक्त करने के आदेश की समीक्षा करते हैं कि नहीं.