रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे हैं युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आग लगी हुई है. आशंका बनी हुई है कि इसका असर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी पड़ सकता है. इसी आशंका और पेट्रोल डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के मुद्दे पर विपक्ष ने बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन विपक्षी पार्टियों ने सरकार से एक-एक करके सवाल पूछे. सरकार की तरफ से जवाब देते हुए कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिक्कत जरूर है, लेकिन भारत सरकार कोशिश कर रही है की कच्चे तेल के आयात को को लेकर नए बाजार तक पहुंचा जा सके और वहां से तेल आयात किया जा सके. जिससे देश में तेल की किल्लत न हो और उपभोक्ताओं पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी हुई कीमतों का असर कम से कम पड़े.


राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान तमाम विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी से सवाल पूछा कि सरकार 100 रुपये के करीब पहुंच चुकी पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठा रही है. जवाब में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि सरकार लगातार उपभोक्ताओं पर बढ़ते बोझ को लेकर कदम उठा रही है, देश मे पेट्रोल और डीजल डी रेगुलेट किया जा चुका है, लिहाजा उसकी कीमत कंपनियां बाजार भाव को देखकर ही तय करती हैं.


वहीं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के तेल की कीमत और उपलब्धता पर पड़ने वाले असर को लेकर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने जवाब देते हुए कहा कि हमारी तेल कंपनियां और सरकार लगातार रशियन फेडरेशन समेत कई और नए बाजार में बातचीत कर रही है. भारत सरकार उम्मीद कर रही है कि जल्द ही नए बाजार खुलेंगे और उसको लेकर जो असमंजस की स्थिति है वह दूर होगी. इसी दौरान कांग्रेसी सांसद छाया वर्मा ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार तय करती है, क्योंकि जब चुनाव आता है तो कीमत नहीं बढ़ती और जब चुनाव खत्म हो जाते हैं तब बढ़ जाते हैं. 


छाया वर्मा ने कहा कि ये दिखाता है कि सरकार का पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अवैध कब्जा है. छाया वर्मा के इस आरोप का जवाब देते हुए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के ये आरोप गलत हैं. तेल की कीमतों पर सरकार का कोई कब्जा नहीं है. तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमत के आधार पर भारतीय बाजार में तेल की कीमत तय करती हैं. पुरी ने कहा कि हमारे देश में तो पांचों साल चुनाव होते रहते हैं, अभी चुनाव खत्म हुए हैं फिर साल के अंत में चुनाव हैं. जो तेल कंपनियां है वो अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों को ध्यान रखते हुए कीमत तय करती है न की चुनावों को देखकर.


इस दौरान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ दिन पहले पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने से पहले ही एक विपक्षी नेता ने कह दिया था कि चुनाव खत्म होते ही कीमतें बढ़ जाएंगी. विपक्षी नेता के उस बयान से अचानक तेल की होर्डिंग बढ़ गई, लिहाज़ा इस तरह के बयान सही नहीं है. सवाल-जवाब के दौरान कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर ज्यादा टैक्स लगाकर देश को लूट रही है. जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि देश को किसने लूटा है इसका जवाब जनता ने दे दिया है. 97 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत ज़ब्त हो गई है.


वहीं पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री से सवाल पूछा गया. कांग्रेसी सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि जब जीएसटी को लाया गया था तो चर्चा यह थी कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट को भी उसमें शामिल किया जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा किया नहीं गया. आनंद शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि इसको लेकर काफी चर्चा हो चुकी है. यह मामला जीएसटी काउंसिल के तहत आता है और वहां पर भी इस पर कई बार चर्चा हुई, लेकिन यह चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई. कई राज्य इसके लिए तैयार नहीं हुए. लिहाज़ा ये राज्यों को भी तय करना होगा. हरदीप पुरी ने कहा कि सरकार ये सुनिश्चित कर रही है और आगे भी सुनिश्चित करेगी कि उपभोक्ताओं पर कम से कम भार पड़े.


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