नई दिल्लीः भारत के बड़े एयरलाइन ऑपरेटर्स में से एक जेट एयरवेज की माली हालत बहुत खराब है. जेट एयरवेज के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. एक तरफ जहां इंजीनियर्स ने उड़ान में जोखिम होने की बात कही थी, वहीं पायलटों ने भी सैलरी का भुगतान न होने पर 1 अप्रैल से सभी उड़ानों को बंद करने की धमकी दे दी है.


डीजीसीए के मुताबिक इस समय जेट एयरवेज के केवल 41 विमान ही परिचालन के लिए उपलब्ध हैं जबकि एयरलाइन के पास कुल 119 विमान हैं. जेट एयरवेज की स्थिति तेजी से बदल रही है, आने वाले सप्ताहों में और उड़ानें निरस्त हो सकती हैं. जेट एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार और डीजीसीए को बताया कि उनकी तीन महीने की सैलरी अब भी बकाया है. सात महीने से तनख्वाह समय पर मिल नहीं रही और तीन महीने की सैलरी बकाया है. ऐसे में एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स की मानसिक हालत ठीक नहीं है. आपसे अनुरोध है कि इस मामले में दखल दें और जेट एयरवेज को निर्देश दें कि बकाया पैसे का भुगतान करे और सैलरी समय पर दे. कंपनी में अभी 560 इंजीनियर्स हैं, जो 100 से ज्यादा विमानों का रखरखाव देखते हैं.


जेट एक बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज़्यादा के कर्ज में है. उसके महज़ 41 एयरक्राफ्ट ही फिलहाल उड़ान भर पा रहे हैं. माली हालत इतनी ज़्यादा खराब है कि इंटरेस्ट देने में भी देरी हो रही है. खबर ये भी है कि परेशानी से उबरने को लेकर इतिहाद के साथ हुआ जेट एयरवेज का करार भी टूटने के कगार पर है. बावजूद इसके सरकार जेट एयरवेज को किंगफ़िशर नही बनने देना चाहती है.


चुनावी समय में विपक्ष देश भर में बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहा है. अगर जेट एयरवेज ठप्प पड़ जाती है तो हजारों लोगों की नौकरी जाएगी और जेट एयरवेज के कर्मचारी बेरोजगार होंगे. इसके बाद विपक्ष के बेरोजगारी के मुद्दे को बल मिलेगा. नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने नागरिक उड्डयन सचिव को जेट एयरवेज के ग्राउंडिंग होते फ्लाइट्स, एडवांस बुकिंग, कैंसिलेशन, रिफंड्स और सेफ्टी से जुड़े मुद्दों को लेकर आपात बैठक बुलाने का निर्देश दिया है. साथ ही, उनको जेट के मुद्दे को लेकर डीजीसीए से तत्काल रिपोर्ट तलब करने को कहा.


जेट के विमानों को कैंसिल करने का सिलसिला लगातार जारी है. इससे पहले आबूधाबी की उड़ान 18 मार्च से जेट ने बंद कर दी. घरेलू विमानों की उड़ान की हालत भी बहुत बेहतर नहीं है. जेट एयरवेज के संकट का असर हवाई यात्रियों पर पड़ते देख सरकार को आखिरकार उसे बचाने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा. सरकार ने विमानन कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों से दिवालिया प्रक्रिया बंद कर उसे बचाने की प्रक्रिया शुरू करने की मंशा जताई है.


खबरों के मुताबिक वित्त मंत्रालय इस स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है. पिछले सप्ताह बैंकों ने जेट एयरवेज की वित्तीय स्थिति पर समीक्षा रिपोर्ट पेश कर सरकार से सुझाव मांगा था. सरकार ने जवाब में कहा है कि बैंक कर्ज की राशि को इक्विटी में बदलकर जेट एयरवेज में हिस्सेदारी ले सकते हैं.