विधायक के बदले सांसद बने रहने से अखिलेश यादव के लिए यूपी की जनता में कैसा संदेश जाएगा?
विधायक के बदले सांसद बने रहने से क्या अखिलेश यादव के खिलाफ गलत मैसेज नहीं जाएगा? यूपी में चुनाव लड़ना है तो यूपी में बने रहना चाहिए. कुछ लोगों की राय ये है कि करहल से स्वामी प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़वा दिया जाए.
उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों के बाद से विपक्षी कैंप बहुत शांत है. समाजवादी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं की सुगबुगाहट बहुत कम है और विश्लेषण का दौर जारी है. इन सबके बीच में जोरों की हवा बनी हुई है कि अखिलेश यादव करहल विधानसभा छोड़ेंगे और लोकसभा से सांसद रहेंगे. जबकि करहल विधानसभा से स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा भेजा जाएगा. मौर्य के विधानसभा जाने से सपा में ओबीसी वोटरों का भरोसा बढ़ेगा. आइए आपको बताते हैं कि लखनऊ की सियासी गलियों में क्या है चर्चा का दौर.
अपुष्ट तौर पर पिछले दिनों से ही लखनऊ की गलियों में चर्चा है कि अखिलेश यादव लोकसभा सांसद बने रहेंगे और विधानसभा में करहल में मिली जीत के बाद उसे छोड़ देंगे. सपा के कैडर का मानना है कि लोकसभा में सदस्य का हैं. ऐसे में अखिलेश यादव का सीट छोड़ना गलत मैसेज देगा. स्वामी प्रसाद मौर्य के विधानसभा जाने की चर्चा जोरों पर है. इस बारे में जब एबीपी न्यूज़ ने स्वामी प्रसाद मौर्य से बात की तो उन्होंने इस बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से कोई बातचीत होने से इनकार कर दिया.
सपा की सीटें और वोट शेयर बढ़ा
इस विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का वोट शेयर जोरदार बढ़ा है. सीटें भी दोगुनी और ज्यादा बढ़ गई हैं. इस बढ़े हुए जनाधार का भार समाजवादी पार्टी के कंधे पर है. ऐसे में जब अखिलेश यादव के विधानसभा ना जाकर लोकसभा में रहने की चर्चा है तो सियासी जानकारों का मानना है कि अखिलेश को विधानसभा में बने रहना चाहिए. इससे उनके कार्यकर्ता चार्ज आप रहेंगे. अगर अखिलेश विधानसभा में स्वामी प्रसाद मौर्य को भेजते हैं तो वोटरों के संग अन्याय होगा और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका को लेकर भी बात होगी. अगर अखिलेश रहेंगे तो पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते माहौल रहेगा. अगर संसद में रहेंगे तो मायावती जैसी स्थिति हो जाएगी.