नई दिल्ली: इस समय पूरी दुनिया के कई देश कोरोना वायरस की चपेट में है. रोजाना कोरोना वायरस संक्रमण की नए मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा से कोरोना का इलाज संभव है. यूएस में अब तक हुए इलाज और रिसर्च से यह बात सामने आई है कि मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन काफी कारगर साबित हो रही है. अमेरिका इस दवाई को लेकर दावा तो कर रहा है लेकिन क्या सोचते हैं भारत के डॉक्टर इस बारे में.
भारत की सबसे बड़ी मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट आईसीएमआर के हेड साइंटिस्ट डॉ रमन गंगाखेडकर का मानना है की अभी बहुत जल्दी है इस निष्कर्ष पर पहुंचना. अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि इसपर डिटेल रिसर्च नहीं हुई है. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने कहा "ये निष्कर्ष सिर्फ 30% पेशेंट्स के ट्रायल के आधार पर है अभी इसको और ट्रायल की जरूरत है. इस दावा से सेहत पर क्या असर होगा ये अभी साफ नहीं है इसलिए थोड़ा इंतजार करने की जरूरत है."
वहीं सीनियर डॉक्टर एम वाली भी आईसीएमआर के डॉ गांगखेड़कर की बात से सहमत है. उनके मुताबिक कई देशों में मलेरिया की इस दवाई से कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज हुआ है जिसमें भारत भी है लेकिन अभी इस को लेकर कोई डाटा नहीं है. वहीं इस रिसर्च को डब्ल्यूएचओ ने भी प्रमाणित नहीं किया है.
डॉ एम वाली कहते है "फ्रांस साउथ कोरिया चाइना जैसे देशों ने अपने मरीजों को यह दवा दी क्योंकि यह हार्मलेस मेडिसिन है और दशकों से मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इतने मरीज थे कि बहुत सारी दवाइयों का ट्रायल हुआ. लेकिन इसका कोई डाटा नहीं है हम लोग जो एविडेंस बेस्ड मेडिसिन प्रैक्टिस करते हैं जब तक इसको लेकर डाटा नहीं आता और डब्ल्यूएचओ से कोई पुष्टि नहीं होती तब तक यह कहना कि इस दवाई से कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति का इलाज हो सकता है यह सही नहीं है"
वही मेडिसिन डॉ स्वाति माहेश्वरी भी इस बात से इत्तफाक रखती हैं कि हाल में कई मरीजों का इस दवा से इलाज किया गया. यह दवा से कोई नुकसान नहीं है और पिछले 70 सालों से ज्यादा इसका इस्तेमाल मैंने एरिया और गठिया जैसे रोगों के लिए किया जा रहा है. लेकिन यह रिसर्च हमारे देश में नहीं हुई है और ना ही इसकी पुष्टि करने वाला कोई डेटा आया है. मुझे जरूर मानती है कि हाल में राजस्थान के जयपुर में जिनको रोना संक्रमित व्यक्तियों का इलाज हुआ था उनके इलाज के दौरान इस दवाई का प्रयोग जरूर हुआ लेकिन साथ में कुछ और दवाइयां भी इस्तेमाल की गई थी.
वहीं इन दवाई के ट्रायल पर उनका कहना है "समय बहुत कम है, यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है इसीलिए समय नहीं मिल रहा है कि कोई ट्राई कर पाए एक लंबा ट्रायल चले क्योंकि कोई भी दवा को हम यह कह पाते हैं कि यह दवा इस इलाज के लिए जब हम लंबा ट्राई कर पाए.लेकिन अभी समय नहीं मिल पा रहा है लेकिन अब जो छोटे-छोटे ट्रायल हो रहे हैं और जो तुरंत रिजल्ट दे रहे हैं उनसे यह उम्मीद लगाई जा रही है यह इसका इलाज होगा और शायद इस को फास्ट ट्रैक लेवल पर किया जाएगा. तो अभी बहुत सारी ऐसी दवाइयां हैं जिनके रिजल्ट को देखा जा रहा है जो पहले से थी."
फिलहाल भारत में डॉक्टर इस बात से इनकार नहीं कर रहे है की मलेरिया की दवाई से इलाज हो सकता है लेकिन वो साथ में ये भी के रहे है की इसको लेकर कोई बड़े ट्रायल या डाटा नहीं है. इसलिए ये कहना की कोरोना वायरस से संक्रमण का इलाज मिल गया है ये कहना अभी जल्दबाजी होगी.
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