(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या एक विवाहित का दूसरे अविवाहित के संग रहना 'लिव इन रिलेशनशिप' माना जाएगा, जानिए- कानून क्या कहता है
साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशन के बारे में दिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले पर कहा था कि केवल एक दूसरे के साथ रहने या रातभर किसी के साथ गुजारने से इसे घरेलू संबंध नहीं कहा जा सकता है.
भारत में 'लिव इन रिलेशनशिप' का कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. अब विवाहित महिला या पुरुष का किसी अविवाहित के संग रहने को भी 'लिव इन रिलेशनशिप' नाम दिया जाने लगा है. हाल ही में बंगाली एक्ट्रेस और टीएमसी सांसद नुसरत जहां ने दावा किया है कि निखिल जैन के साथ उनकी शादी कानूनी नहीं, बल्कि 'लिव इन रिलेशनशिप' है. उनका तर्क है कि शादी तुर्की में हुई थी और इसे भारतीय कानून के अनुसार मान्यता नहीं मिली है.
नुसरत जहां का कहना है कि क्योंकि यह अंतरधार्मिक विवाह था, इसलिए इसे भारत में विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्यता की जरूरत है. बता दें, 19 जून 2019 को नुसरत जहां और बिजनेसमैन निखिल जैन शादी के बंधन में बंधे थे. अब पिछले छह महीने से दोनों एक साथ नहीं रह रहे हैं.
क्या एक विवाहित का दूसरे अविवाहित के संग रहना 'लिव इन रिलेशनशिप' माना जाएगा?
इसी तरह के एक मामले में हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि 'एक विवाहित और अविवाहित व्यक्ति के बीच लिव-इन-रिलेशनशिप की अनुमति नहीं है.' हाईकोर्ट की पीठ 29 साल की महिला और 31 साल के विवाहित पुरुष की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इन दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर लिव इन रिलेशनशिप की सुरक्षा की मांग की थी.
हाईकोर्ट ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप को 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करने की जरूरत है, जो कहता है कि दंपति को खुद को पति-पत्नी के समान समाज के सामने रखना चाहिए. साथ ही दोनों की उम्र कानूनी विवाह में प्रवेश करने के योग्य होना चाहिए.
इससे पहले मई में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सुरक्षा की मांग करने वाले एक प्रेमी जोड़े द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि लिव-इन-रिलेशनशिप नैतिक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है. याचिकाकर्ता गुलजा कुमारी (19) और गुरविंदर सिंह (22) ने कहा था कि वे एक साथ रह रहे हैं और जल्द ही शादी करना चाहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप पर क्या कहा है
साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशन के बारे में दिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले पर कहा था कि केवल एक दूसरे के साथ रहने या रातभर किसी के साथ गुजारने से इसे घरेलू संबंध नहीं कहा जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि इस केस में महिला गुजारा भत्ता की हकदार नहीं है. गुजारा भत्ता पाने के लिए किसी महिला को कुछ शर्ते पूरी करनी होंगी. शर्तों के अनुसार, दंपति को अविवाहित होना चाहिए. वह भले ही अपनी मर्जी से एक दूसरे के साथ रह रहे हों लेकिन समाज के समक्ष खुद को पति पत्नी की तरह पेश करना होगा.
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