लखनऊ: राज्यसभा चुनाव हारने के बाद भी बीएसपी अब समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के रास्ते पर आगे बढ़ रही है. मायावती ने सोमवार को लखनऊ में अपनी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई है. इस मीटिंग में अगले लोकसभा चुनाव पर चर्चा होगी.


बुआ ने भतीजे को अपना बना लिया है. 23 साल पुराने गेस्ट हाऊस काण्ड को भूलकर मायावती अब आगे बढ़ने के मूड में है. मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए अब बहिनजी कोई भी लक्ष्मण रेखा लांघने को तैयार हैं. वे चाहती हैं कि अगला लोक सभा चुनाव बीएसपी और समाजवादी पार्टी मिलकर लड़ें. कांग्रेस को लेकर भी मायावती का मन अब मुलायम हो चुका है. बहिन जी ने कहा, “हम तो केन्द्र में कांग्रेस की सरकार का समर्थन करते रहे हैं.”


सोमवार को मायावती ने लखनऊ में बीएसपी ऑफिस में पार्टी नेताओं की मीटिंग बुलाई है. इस बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के पार्टी प्रभारी भी मौजूद रहेंगे. बीएसपी के एक बड़े नेता की मानें तो इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए. हाल में ही एमपी का चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस ने जीत लिया था. कांग्रेस के आग्रह पर बीएसपी चुनाव नहीं लड़ी थी. एमपी में बीएसपी के अब भी चार एमएलए हैं.


अब सवाल ये है कि अगले लोकसभा चुनाव के लिए एसपी और बीएसपी के गठबंधन का फार्मूला क्या होगा. समाजवादी पार्टी के एक नेता ने बताया कि पिछले चुनाव में जो पार्टी जिस जगह पर दूसरे  नंबर पर थी, वहां से उसकी दावेदारी मजबूत होगी. आपको बता दें कि 2014 में हुए चुनाव में बीएसपी 34 जगहों पर रनर अप थी. पार्टी को 20 फ़ीसदी वोट मिले थे. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी 30 लोकसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर थी. चुनौती तो अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी को भी साथ रखने की है.


यूपी में लोक सभा की 80 सीटें हैं.  बीजेपी को 71 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 2 लोक सभा सीटें सहयोगी पार्टी अपना दल के खाते में गयी थीं. मुलायम सिंह और डिम्पल यादव समेत समाजवादी पार्टी के 5 सांसद चुने गए थे.  बीएसपी अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी. कांग्रेस से सोनिया गांधी  रायबरेली से और राहुल गांधी चुनाव जीते थे. वैसे मायावती ने अब तक लोकसभा चुनाव के लिए किसी पार्टी से कभी कोई गठबंधन नहीं किया है. 1993 में बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जबकि एक बार कांग्रेस का साथ लिया था.