Arif Mohammed Khan Slams Kerala Govt: केरल के राज्यपाल (Kerala Governor) आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) ने राज्य सरकार (Kerala Govt) के कामकाज में दखल देने के आरोपों से इनकार किया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ''सरकारी कामकाज में तब तक दखल नहीं दूंगा जब तक कि संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह ध्वस्त न हो जाए. केरल में ऐसी कोई स्थिति नहीं है.'' खान ने कहा, ''हर मुद्दे पर मेरिट के हिसाब से फैसला लिया जाएगा. कानून और संविधान को कायम रखूंगा.''


मंगलवार (15 नवंबर) को खान ने दिल्ली में केरल के विश्वविद्यालयों के नियुक्तियों के विवाद को लेकर मीडिया से बात करते हुए राज्य सरकार पर हमला बोला. खान ने दावा किया कि वह ऐसे 1001 उदाहरण पेश कर सकते हैं जब एलडीएफ सरकार ने हर दिन विश्वविद्यालयों के कामकाज में दखल दिया. 


क्यों आमने-सामने राज्यपाल और केरल सरकार?


खान दिल्ली में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे तो मंगलवार को ही केरल में राजभवन के बाहर वाम दलों ने भारी विरोध प्रदर्शन किया. वाम दलों का आरोप है कि राज्यपाल केरल के हायर एजुकेशन सेक्टर में दखल दे रहे हैं. राज्यपाल खान और पिनाराई विजयन सरकार विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर आमने-सामने हैं. राज्यपाल खान ने केरल के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से 24 अक्टूबर को तक इस्तीफा देने को कहा था.


राज्यपाल का केरल सरकार पर आरोप


समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, खान ने पत्रकारों से कहा, ''विश्वविद्यालयों को चलाने का काम चांसलर के पास है, सरकार चलाना चुनी हुई सरकार का काम है. मुझे एक उदाहरण बताएं जहां मैंने सरकार के कामकाज में दखल देने की कोशिश की हो, मैं उसी पल इस्तीफा दे दूंगा. मैं आपको 1001 उदाहरण दे सकता हूं जहां उन्होंने रोजाना विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप किया.''


केरल के राज्यपाल ने मीडिया से कहा, ''आप यह मुद्दा क्यों नहीं उठाते हैं कि पिछले साल तक केरल में 13 विश्वविद्यालय थे और सभी नियुक्तियां अवैध हैं. क्या कोई ऐसा राज्य है जहां सौ फीसदी नियुक्तियां कानून का उल्लंघन कर की गई हों. विश्वविद्यालय पार्टी कैडर और उनके रिश्तेदारों की जागीर बन गए हैं.''


क्या आरिफ मोहम्मद खान को भेजा गया अध्यादेश मामला?


राज्य मंत्रिमंडल ने हाल में आरिफ मोहम्मद खान को केरल में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने के संबंध में उनकी सहमति के लिए एक अध्यादेश भेजा है. खान ने कहा कि वह ऐसे व्यक्ति नहीं है जिस पर दबाव डाला जा सके. इससे पहले रविवार (13 नवंबर) को उन्होंने अध्यादेश को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा था कि अभी उन्होंने इसे देखा और पढ़ा नहीं है, उसे देखने के बाद कोई फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर अध्यादेश में उन्हें निशाना बनाया गया है तो वह उस पर दस्तखत नहीं करेंगे उसे राष्ट्रपति को भेजेंगे. 


राजभवन के बाहर प्रदर्शन पर हाई कोर्ट ने क्या कहा?


वहीं, मंगलवार को ही केरल हाई कोर्ट ने वाम दलों की ओर से राजभवन तक आयोजित विरोध मार्च को रोकने से इनकार कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन की शिकायत पर विचार करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिया. बीजेपी ने शिकायत की थी कि विरोध प्रदर्शन में सरकारी कर्मचारी शामिल हैं. हालांकि, पीठ ने सुरेंद्रन के वकील से कहा कि विरोध मार्च से सरकारी कर्मचारियों की पहचान कैसे की जा सकती है? वह सरकारी आदेश कहां है जिसमें कहा गया कि कर्मचारियों को मार्च में हिस्सा लेना है?


कोर्ट ने कहा, ''हम प्रदर्शनकारियों में से सरकारी कर्मचारियों की पहचान कैसे कर सकते हैं? हम किसी को विरोध मार्च नहीं निकालने के लिए कैसे कह सकते हैं?"


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