नई दिल्ली: रामविलास पासवान के विरोधी उन्हें मौसम वैज्ञानिक कहते हैं. मौसम वैज्ञानिक मतलब जो पहले ही पहचान लेता है कि कौन गठबंधन जीतने वाला होता है. पिछले लोकसभा चुनाव से पहले रामविलास पासवान कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे और अब उन्होंने बीजेपी के खिलाफ बयान दिया है.


रामविलास पासवान ने 17 मार्च को कहा, ''एनडीए को समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की जरूरत है. समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर ही कांग्रेस ने कई दशकों तक शासन किया है.'' अब अपने पुराने बयान से पलटते हुए रामविलास पासवान बयान को तोड़ मरोड़कर पेश करने का आरोप लगा रहे हैं.


क्या कहता है रामविलास पासवान का राजनीतिक इतिहास?
1977 में पहली बार सांसद बने रामविलास पासवान ने केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपनी पारी की शुरुआत की साल 1996 में की. उस समय वो देवगौड़ा सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री बने थे. सियासत के बदलते मिजाज को भांपते हुए रामविलास पासवान साल 1999 में एनडीए में शामिल हो गये.


चुनाव में एनडीए की जीत हुई और रामविलास पासवान वाजपेयी सरकार में संचार मंत्री और कोयला और खनन मंत्री बने. 2004 के चुनाव से ठीक रामविलास पासवान ने गुजरात दंगे के नाम पर एनडीए का साथ छोड़ दिया और फिर वो यूपीए में शामिल हो गये. इसके बाद वो साल 2004 से साल 2009 तक यूपीए सरकार में मंत्री पद पर आसीन रहे.


2009 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान का सियासी दांव गलत बैठा. वो कांग्रेस का साथ छोड़कर लालू यादव के साथ हो लिए लेकिन उस चुनाव में वो खुद हाजीपुर की अपनी सीट भी नहीं बचा पाये. इसके बाद पूरे पांच साल तक रामविलास पासवान को सत्ता सुख से वंचित रहना पड़ा. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर को देखते हुए रामविलास पासवान एनडीए में शामिल हो गये. सात सीटों पर लड़े और छह सीटों पर जीतकर खुद मोदी सरकार में मंत्री बने.


अगले साल यानी 2019 में लोकसभा चुनाव होनेवाला है और उससे पहले रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान बीजेपी को नसीहत देने लगे हैं. रामविलास पासवान के पुराने बयानों को याद किया जाए तो वो किसी का साथ छोड़ने से पहले इसी तरह से नसीहत भरे बयान देते थे. रामविलास पासवान बिहार में दलितों के बड़े नेता जाने जाते हैं. उनकी पार्टी एलजेपी के बिहार में 6 सांसद हैं. तीन सांसद उनके परिवार के सदस्य ही हैं.