नई दिल्लीः आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के ऊपर मचे विवाद के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मुझे जो कुछ कहना है 7 जून को नागपुर में ही कहूंगा. एबीपी समूह के बंगाली अखबार आनंद बाजार पत्रिका को दिए इंटरव्यू में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मुझे कई तरह के पत्र और फोन कॉल आए हैं लेकिन मैंने किसी का भी जवाब नहीं दिया है. कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं जिनमें जयराम रमेश, सी के जाफर शरीफ, रमेश चेन्निथला हैं, उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति को उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए कहा है.


केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने कहा है कि प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम में जाने का फैसला धर्मनिरपेक्ष लोगों के लिए एक तगड़ा झटका है और पूर्व राष्ट्रपति को नागपुर जाने से बचना चाहिए.


रमेश चेन्निथला ने आरएसएस को एक सांप्रदायिक संगठन बताते हुए कहा कि वो एक हिंदू राष्ट्र को बनाने के लिए कार्य कर रहा है जो केवल एक वर्ग के लिए है और ये कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की विचारधारा के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि अचानक क्या हो गया कि प्रणब मुखर्जी जैसे वरिष्ठ नेता जिन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में हम सबका मार्गदर्शन किया है वो आरएसएस के कार्यक्रम में भाषण देने जा रहे हैं.


इससे पहले संघ के कार्यक्रम में जाने के न्योते पर एबीपी न्यूज़ के ही सवाल पर प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि वो इसके बारे में मीडिया से चर्चा नहीं करना चाहते.


वहीं जहां कांग्रेस ने विवाद पर किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार कर दिया वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा था कि अगर वे प्रणब मुखर्जी की जगह होते तो आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं जाते. चिदंबरम ने कहा कि आप जाएं और बताकर आएं कि उनकी विचारधारा में क्या गलत है.


पी चिदंबरम ने कहा था कि अब जबकि उन्होंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है तब इस पर बहस करने से कोई फायदा नहीं कि क्यों स्वीकार किया. अब ये कहना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि सर, आप प्लीज जाएं और उन्हें बताकर आएं कि उनकी (आरएसएस की) विचारधारा में क्या गलत है.


वहीं आरएसएस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण ने संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लिया है और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संघ के कार्यकर्ताओं को उनके कार्य से प्रभावित होकर साल 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में आमंत्रित किया था.

वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी प्रणब मुखर्जी के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि आरएसएस कोई पाकिस्तानी संगठन नहीं है और आरएसएस राष्ट्रवादी लोगों का संगठन है. प्रणब मुखर्जी का आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करना अच्छी शुरुआत है. राजनीतिक अस्पृश्यता अच्छी बात नहीं है.

आरएसएस के किस कार्यक्रम में जा रहे हैं प्रणब मुखर्जी?
प्रणब मुखर्जी आरएसएस के तृतीय शिक्षा वर्ग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर जा रहे हैं. तृतीय शिक्षा वर्ग संघ के प्रचारक बनाने की प्रक्रिया का सबसे उच्च ट्रेनिंग प्रोग्राम है. संघ प्रचारक बनना है तो तृतीय शिक्षा वर्ग में प्रशिक्षण लेना ही पड़ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तृतीय शिक्षा वर्ग में हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम का ध्येय वाक्य 'मै संघ हूं, संघ मेरा है' है.