यूक्रेन के साथ चल रहे रूस के युद्ध का क्या भारत पर भी कोई असर पड़ सकता है, ये कहना बेहद जल्दबाजी होगी. लेकिन जिस तरह से अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं उसका असर भारत के साथ संबंधों पर भी पड़ सकता है. खासतौर से इसलिए क्योंकि भले ही भारत आज अपने हथियार और गोला-बारूद के लिए रूस पर कम निर्भर है, लेकिन अभी भी भारत का 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हथियारों का आयात रूस से ही होता है.


भारत भले ही आज अमेरिका के करीब आ रहा हो, लेकिन अभी भी भारत का सबसे पुराना और भरोसेमंद दोस्त है रशिया यानी रूस है. असॉल्ट राइफल से लेकर, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत और यहां तक की परमाणु पनडुब्बी तक भी भारत को रूस से मिली हैं. रूस ने भारत को ऐसे ऐसे समय में मदद की जब दुनिया के दूसरे देश कन्नी काटते थे. 


रातो-रात सप्लाई कर दिया था गोला-बारूद


यहां तक कि पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक (2016) के वक्त जब भारत को युद्ध की संभावना दिखी, तो भारत ने गोला-बारुद रूस से ही लिया था.और रूस ने बिना किसी हिचकिचाहट के भारत को ये जरूरी गोला-बारुद रातो-रात सप्लाई कर दिया था.


ग्लोबल थिंक-टैंक, सिपरी यानी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट (2021) के मुताबिक, रूस अभी भी भारत को सबसे ज्यादा हथियार और गोला-बारूद देने वाला देश है. 


हालांकि, पिछले दस सालों में रूस पर भारत की निर्भरता थोड़ी कम जरूर हुई है. जहां 2011-15 के बीच भारत ने जितने हथियार, गोला-बारूद, युद्धपोत और मिसाइल का जो आयात किया था उसमें रूस की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत थी. लेकिन 2016-20 के बीच रूस की हिस्सेदारी घटकर 53 प्रतिशत रह गई. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब रूस की बजाए अमेरिका, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों से भी हथियार आयात कर रहा है.


सदाबहार दोस्त रहा है रूस


सैन्य तौर पर भारत आज एक मजबूत देश बन सका है तो उसमें रूस का बड़ा हाथ रहा है. चाहे फिर वो थलसेना के टी-72 टैंक या टी-90 टैंक या फिर एके-203 राइफल या फिर वायुसेना के मिग लड़ाकू विमान और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फाइटर जेट सुखोई सब भारत ने रूस से ही लिए गए हैं. नौसेना के युद्धपोत हो या फिर किलो-क्लास पनडुब्बियां सब रूस ने भारत को मुहैया कराई हैं. 


 दुनियाभर के प्रतिबंधों के बावजूद वो रूस ही था, जिसने भारत को अपनी समुद्री सरहदों की सुरक्षा के लिए परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस चक्र तक लीज़ पर दे रखी है. दुनिया की सबसे मजबूत मिसाइल प्रणाली एस-400 भी भारत रूस से ही ले रहा है.


जब भारत ने वर्ष 2017 में अपना पहला ट्राई-सर्विस यानी सेना के तीनों अंगों का एक साथ किसी देश के साथ युद्धाभ्यास किया था तो वो रूस ही था. अमेरिका के साथ भारत की ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज रूस के बाद शुरू हुई.


एस-400 भी भारत ने रूस से लिया


मौजूदा भारत और रूस के सैन्य संबंधों की बात करें तो हाल ही में भारत को रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली यूनिट (स्क्वॉड्रन) मिलना शुरू हो गई है. भारत ने वर्ष 2016 में रूस के साथ कुल पांच स्क्वॉड्रन का सौदा किया था. अमेरिका ने रूस के साथ किसी भी देश के साथ हथियारों के खरीद-फरोख्त को लेकर काटसा कानून लागू कर रखा है. इसके बावजूद भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल को लेकर सौदा किया और अमेरिका ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया.


एस-400 के अलावा उत्तर प्रदेश के अमेठी में रूस की मदद से भारत एके-203 राइफल की फैक्ट्री जल्द शुरू करने वाला है. इन असॉल्ट राइफल्स को लेकर दोनों देशों के बीच में वर्ष 2019 में करार हुआ था. इसके अलावा एचएएल रूस की मदद से सुखोई फाइटर जेट भी भारत में ही तैयार करता है. करीब 20 साल पहले दोनों देशों के बीच में 272 सुखोई फाइटर जेट का करार हुआ था, उसी के तहत भारत में सुखोई फाइटर जेट का निर्माण होता है.


ब्रह्मोस भी भारत-रूस मिलकर करते हैं तैयार


 इसके अलावा सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी भारत और रूस मिलकर तैयार करते हैं. भारत ने हाल ही में फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल के आयात का करार किया है. इसके अलावा भारत के दो युद्धपोत का निर्माण भी फिलहाल रूस में चल रहा है. भारत अब अधिकतर युद्धपोत और पनडुब्बियां देश में ही तैयार करता है.


आपको बता दें कि सोवियत संघ के विघटन के बाद भी भारत को ये दिक्कत आई थी क्योंकि सोवियत संघ के लिए हथियार और स्पेयर पार्ट्स बनाने के प्लांट और फैक्ट्री अलग अलग राज्यों में फैले थे, जो बाद में अलग देश बन गए थे. यूक्रेन में भी कई ऐसे प्लांट हैं जिनके इंजन और स्पेयर पार्ट्स भारत हाल के सालों तक इस्तेमाल करता आया है.


यूक्रेन का सैन्य विमान कीव के पास हुआ क्रैश, 14 लोग थे सवार, जानिए क्या हैं वहां ताजा हालात


Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन की जंग से दुनिया में हड़कंप, स्थिति पर ब्रिटेन की विदेश मंत्री के साथ एस जयशंकर ने किया मंथन