नई दिल्ली: स्कूल कब खुलेंगे? लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब हर कोई बस यही सवाल पूछ रहा है. इसका जवाब कि अभी स्कूल जल्द खुलने वाले नहीं है. एम्स और WHO की स्टडी में सामने आया है कि बच्चों में भी उतना संक्रमण पाया गया, जितना बड़ो या वयस्कों में था. हालांकि, इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई तीसरी लहर आती है तो बच्चों को उतना ही खतरा नहीं होगा, जितना बताया गया. लेकिन अगर वायरस में कोई ऐसा म्युटेशन या बदलाव आता है, तो स्थिति बदल सकती है. यही वजह है कि जब तक स्थिति और साफ नहीं हो जाती है, तब तक स्कूल जल्द नहीं खुलेंगे. सरकार भी इसको लेकर जल्दबाजी के मूड में नहीं है.  


गुरुवार को दिल्ली एम्स औए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के सीरोप्रिवलेंस स्टडी के अंतरिम नतीजे सामने आए, जिसके मुताबिक भारत में बड़ी उम्र वालों की तरह ही बच्चे भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं, जिसमे ज्यादातर बच्चों में संक्रमण होने पर किसी तरह के लक्षण नहीं दिखे. स्टडी के मुताबिक अगर कोरोना की संभावित तीसरी लहर आती है तो बच्चों पर ज्यादा खतरा नहीं होगा. ये सीरोप्रवलेंस स्टडी दिल्ली, बल्लभगढ़ (फरीदाबाद), गोरखपुर, भुवनेश्वर और अगरतला में की गई है. इसमे शहरी और ग्रामीण दोनों इलाके शामिल हैं. 4509 लोगों को स्टडी में शामिल किया गया, जिसमें से 2811 सीरो पॉजिटिव पाए गए, यानी 62.3% सीरो पॉजिटिविटी दर है.  


शहरी इलाके में 1001 लोगों पर स्टडी की गई, जिसमें से 748 सीरो पॉजिटिव पाए गए यानी 74.7% सीरोप्रवलेंस था. इसमें 18 साल से ज्यादा उम्र के 909 थे, जिसमें से 680 सीरो पॉजिटिव पाए गए जबकि 18 साल से कम उम्र के 92 थे और 68 स्टडी में सीरो पॉजिटिव पाए गए.  


इसी तरह ग्रामीण इलाकों में 3508 लोगों पर स्टडी हुई, जिसमें से 2,063 सीरो पॉजिटिव पाए गए है, यानी 58.8% सीरोप्रवलेंस था. इसमें 18 साल से ज्यादा उम्र के 2,900 थे, 1,741 सीरो पॉजिटिव थे जबकि 18 साल से कम उम्र के 608 लोगों की स्टडी में 322 सीरो पॉजिटिव थे. यानी साफ है कि बच्चों में भी संक्रमण हुआ, लेकिन माइल्ड. उनके शरीर में भी एंटीबाडी है. खुद सरकार मान रही है कि स्टडी में ऐसा पाया गया है.  


इसके बाद ये सवाल उठा कि अगर बच्चे संक्रमित हुए हैं और उनमें एंटीबाडी है तो क्या आने वाले वक़्त में स्कूल खुलेंगे. इस सवाल जवाब फिलहाल नहीं है. सरकार के मुताबिक अभी इस स्टडी से जल्द किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुच सकते हैं. स्कूल खुलने चाहिए, लेकिन जब इसका फैसला होगा तो बहुत सी चीज़ो को ध्यान देना होगा और उसके बाद कोई फैसला हो सकता है.  


नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ वी के पॉल के मुताबिक, स्कूल में उतनी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाता है. वहीं स्कूल में टीचर और बाकी स्टाफ भी उन सब का टीकाकरण है. उसके अलावा वायरस में अगर कोई बदलाव होता है क्या, इस सब पर ध्यान देना होगा.  


वी के पॉल ने कहा कि स्कूल खोलने को लेकर कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है, ये अलग टॉपिक है. सरकार के सिस्टम में यह विचार आता रहता है. स्कूल में टीचर और हेल्पर होते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग कम हो जाती है तो उन सब मुद्दों पर विचार कर कर ही बात आगे आनी चाहिए, उनमें और भी बहुत सारे इशू हैं. जैसे-जैसे साइंटिफिक जानकारियां मिलती हैं, वैक्सीन उपलब्ध होती है, टीचर्स का वैक्सीनेशन हो जाता है और हम आदत बदल लेते हैं तो ऐसा वक्त जरूर आना चाहिए जब स्कूल खुल जाएं. 


वहीं डॉ पॉल के मुताबिक इस फैसले में इसलिए भी जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि दुनिया के बाकी देशों में स्कूल खुले, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से फिर बंद करना पड़ा. वहां हालात और खराब हुए. इसलिए जब तक हालात को लेकर कॉन्फिडेंस नहीं होगा स्कूल नहीं खुलेंगे. 


वी के पॉल ने आगे कहा कि लेकिन याद रहे कि बाहर के देशों में स्कूल खुले फिर आउटब्रेक होने के बाद वापस गए. अपने बच्चों को और टीचर्स को उस परिस्थिति में नहीं डाल सकते, जब तक कि थोड़ा ज्यादा कॉन्फिडेंस हो और उस स्वरूप में आकर पैन्डेमिक हमें नुकसान न करे, लेकिन ये जानकरी भी काफी महत्वपूर्ण है. 


फिलहाल 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन हो रहा है. वहीं बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है और इसके जल्द उपलब्ध होने की उम्मीद है. तब तक टीचर्स और स्टाफ का वैक्सिनेशन हो जाएगा. इसलिए उम्मीद है कि जल्द ये सब होगा. लेकिन फिलहाल जो हालात हैं उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि अभी कुछ और वक़्त तक स्कूल नहीं खुलेंगे और डिजिटल एजुकेशन ही जारी रहेगा.