जम्मू: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कश्मीर में हिंसा की खबर होने संबंधी टिप्पणी के बारे में कहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को घाटी का दौरा कराने और जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए वह विमान भेजेंगे. राज्यपाल ने कहा कि राहुल गांधी को अपनी पार्टी के एक नेता के व्यवहार के बारे में शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए जो संसद में 'मूर्ख' की तरह बात कर रहे थे. मलिक ने कहा, ''मैंने राहुल गांधी को यहां आने के लिए न्यौता दिया है. मैं आपके लिए विमान भेजूंगा ताकि आप स्थिति का जायजा लीजिए और तब बोलिए. आप एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं और आपको ऐसे बात नहीं करनी चाहिए.'' राज्यपाल कश्मीर में हिंसा संबंधी कुछ नेताओं के बयान के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे.


शनिवार की रात राहुल गांधी ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से हिंसा की कुछ खबरें आयी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पारदर्शी तरीके से इस मामले पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने में कोई सांप्रदायिक दृष्टिकोण नहीं है. उन्होंने कहा, ''अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान सबके लिए समाप्त किए गए हैं. न तो लेह, करगिल, जम्मू, रजौरी और पुंछ में और न ही यहां (कश्मीर) इसे समाप्त करने में कोई सांप्रदायिक दृष्टिकोण है. इसका कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है.''


मलिक ने कहा कि इस मुद्दे को मुठ्ठी भर लोग हवा दे रहे हैं लेकिन वह इसमें सफल नहीं होंगे. उन्होंने कहा, ''विदेशी मीडिया ने कुछ (गलत रिपोर्टिंग करने का) प्रयास किया और हमने उन्हें चेतावनी दी है. सभी अस्पताल आपके लिए खुले हैं और किसी एक व्यक्ति को भी गोली लगी हो तो आप साबित कर दीजिए. जब कुछ युवक हिंसा कर रहे थे तो केवल चार लोगों को पैलेट से पैर में गोली मारी गयी है और इसमें कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है.''


कश्मीर को 'यातना शिविर' में बदल देने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि शिक्षित होने के बावजूद लोग यातना शिविर का अर्थ नहीं जानते हैं. उन्होंने पूछा, ''मुझे पता है कि यह क्या है. मैं 30 बार जेल गया हूं. तब भी मैंने इसे यातना शिविर कारार नहीं दिया था. उन्होंने (कांग्रेस) आपातकाल के दौरान डेढ़ साल तक लोगों को जेल में बंद कर दिया था लेकिन किसी ने उसे यातना शिविर नहीं कहा था. क्या एहतियातन गिरफ्तारी यातना शिवर (के बराबर) है?''


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