इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले को लेकर अपने हालिया बयान को एक बार फिर दोहराया है. नवाज शरीफ ने कहा है कि मैं जो कहूंगा सच कहूंगा भले परिणाम चाहे जो भी हो. शरीफ ने एक इंटरव्यू में पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. उन्होंने कहा था कि भारत के मुंबई में हुए 26/11 हमलों के पीछे पाकिस्तान के आंतकियों का हाथ था.


नवाज़ के बयान के बाद पाकिस्तान में विवाद शुरू

शरीफ की इस बयान से पाकिस्तान में विवाद शुरू हो गया है और बयान को खारिज करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. डॉन समाचार पत्र ने खबर दी है कि विवाद पर आज शरीफ की प्रतिक्रिया उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के रुख के विपरीत है. पार्टी अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने कल कहा था कि पार्टी रिपोर्ट में किए गए सभी दावों को खारिज करती है. चाहे वे प्रत्यक्ष हों या अप्रत्यक्ष हों.

मैंने साक्षात्कार में क्या कहा जो गलत था?- नवाज़

68 साल के नवाज शरीफ ने इस्लामाबाद में जवाबदेही अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, "मैंने साक्षात्कार में क्या कहा जो गलत था?" शरीफ ने अपनी टिप्पणी को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच कहा कि जो सच है, वह वही बोलेंगे. बता दें कि नवाज शरीफ अदालत में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

शरीफ ने कहा कि उन्होंने जो कहा है, उसकी पुष्टि पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ, पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद दुर्रानी पहले ही की थी. उन्होंने अफसोस जताया कि जो लोग सवाल पूछते हैं, मीडिया में उन्हें धोखेबाज़ करार दिया जाता है.

जो सवाल पूछ रहा है, उसे गद्दार बताया जा रहा है- नवाज़

शरीफ ने कहा कि हमारे 50 हजार (लोगों के) बलिदानों के बाद भी दुनिया हमारी बातों पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है? और जो व्यक्ति यह सवाल पूछ रहा है, उसे गद्दार बताया जा रहा है. जब एक संवाददाता ने शरीफ से देश में ‘‘राज्येत्तर तत्वों की मौजूदगी’’ के बारे में पूछा तो उनके साथ मौजूद उनकी पुत्री मरियम ने कहा ‘‘तो फिर उनके खिलाफ जर्ब ए अज्ब (सैन्य अभियान) किसने चलाया था.’’

साल 2014 में पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने विभिन्न आतंकी समूहों के खिलाफ ऑपरेशन जर्ब ए अज्ब चलाया था जो संयुक्त सैन्य अभियान था. डॉन अखबार के अनुसार, इस मुद्दे पर शरीफ भाइयों के विरोधाभासी बयानों के बाद सत्ताधारी दल में मतभेद सामने आ गए.

पिछले साल जुलाई में नवाज को इस्तीफा देना पड़ा था

दरअसल पनामा पेपर लीक मामले में नवाज शरीफ का नाम आया था और इसके बाद कोर्ट ने पिछले साल 28 जुलाई को उन्हें दोषी पाया था. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था जिसके बाद नवाज को इस्तीफा देना पड़ा था.