क्या मोदी सरकार के इस कार्यकाल में साफ हो पाएगी ‘गंगा’?
गंगा की सफाई के लिए अब मोदी सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का सहारा लिया है. इसके तहत पहले चरण का काम हरिद्वार और बनारस में शुरु किया जाएगा.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही गंगा को साफ करने के लिए नमामि गंगे नाम की परियोजना की शुरुआत की थी. सरकार बनने के करीब साढ़े तीन साल के बाद भी गंगा की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं हो पया है. अब केंद्रीय जल मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मार्च 2019 तक गंगा पूरी तरह साफ नहीं होगी, लेकिन थोड़ा सुधार ज़रूर होगा.
गंगा की सफाई के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप
गंगा की सफाई को लेकर अब मोदी सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की बात कर रही है. केंद्रीय जल मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी घोषणा भी कर दी है. इसके तहत सरकार ने गंगा किनारे नए घाट बनाने, पुराने घाटों की साफ-सफाई और मरम्मत करने, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, नदी की सतह की सफाई, गंगा किनारे बने श्मशान गृहों की मरम्मत, घाटों के आसपास वृक्षारोपण के लिए कॉरपोरेट सेक्टर और आम जनता से आगे आने को कहा है.
हरिद्वार-बनारस में होगा पहले चरण का काम
नितिन गडकरी ने कहा है, ‘’70 फीसदी गंगा प्रदूषण का कारण सीवेज है. प्रदूषण को कम करने के लिए पहले चरण में हरिद्वार (171.53 करोड़) और बनारस (153.16 करोड़) में हाईब्रिड सीवेज ट्रीटमेंट के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनीशिप का सहारा लिया जा रहा है, इसके लिए समझौता भी हो गया है. इसके बाद इलाहाबाद, कानपुर, बिहार, कोलकत्ता के अलग अलग घाटों पर शुरू होगा. ’’
गडकरी ने यह भी बताया है, ‘’97 शहर गंगा को प्रदूषित करते हैं, इनमें से सबसे ज़्यादा प्रदूषण दस शहरों में होता हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘’सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से स्वच्छ हुए पानी को बिजली बनाने के लिए, ट्रेन को धोने के लिये, उसमे से मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड निकाल कर बेचने की योजना पर भी काम चल रहा है.’’