नई दिल्ली: कल संसद में तीखी बहस के बाद तीन तलाक बिल लोकसभा से पास हो गया, लेकिन मोदी सरकार के लिए खुशी से ज्यादा चिंता की बात हो गई है. लोकसभा में तीन तलाक के पक्ष में सिर्फ 245 वोट ही पड़े थे, जबकि आज की तारीख में सदन में बीजेपी के 268 सांसद हैं.


क्या बिल को लेकर सीरियस नहीं हैं बीजेपी और उसके सहयोगी सांसद?


लोकसभा में सुमित्रा महाजन को लेकर बीजेपी के 269 सांसद हैं. सहयोगी शिवसेना के 18 सांसद, पासवान की एलजेपी के 6 सांसद, शिरोमणी अकाली दल के 4, अपना दल और जेडीयू के 2-2 सांसद और अन्य छोटे दलों के मिला दें तो एनडीए के मौजूदा वक्त में कुल 303 सांसद हैं. लेकिन तीन तलाक बिल पर जब वोटिंग हुई तो पक्ष में सिर्फ 245 वोट ही पड़े. जबकि सरकार  बने रहने के लिए 272 सांसद जरूरी होते हैं, ऐसे में विरोधी सवाल उठाने लग गए हैं.


राज्यसभा में एनडीए की स्थिति


कांग्रेस के वॉक आउट के बाद तीन तलाक बिल अब लोकसभा से पारित हो चुका है, सरकार पर अब बिल को राज्यसभा में पारित कराने की चुनौती है, जहां उसके पास बहुमत नहीं है. राज्यसभा में एनडीए के कुल 86 सांसद हैं जिसमें 73 बीजेपी के हैं. जबकि विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 50 सांसद हैं.  एसपी, बीएसपी, टीएमसी जैसे अन्य विपक्षी दलों के सांसदों को मिला दें तो विपक्षी सांसदों की संख्या 97 हो जाती है.


इन पार्टियों पर टिकीं मोदी सरकार की उम्मीदें


यानि बिल पास कराने के लिए उन दलों का समर्थन जरूरी होगा जो किसी खेमे में नहीं हैं. जिनमें टीआरएस के 6, बीजेडी के 9 और एआईएडीएमके के 13 सांसद हैं. लेकिन कल लोकसभा से एआईएडीएमके ने लोकसभा से वॉकआउट कर मोदी सरकार को धर्म संकट में डाल दिया है. सवाल है कि राज्यसभा में बिल पास कैसे होगा? बीजेपी के सांसद खुद मौजूद रहते नहीं और जिनसे सहयोग की उम्मीद है वो भी बिल से किनारा करने के संकेत दे चुके हैं.


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