कोरोना से लड़ने के लिये भारत को तीसरी वैक्सीन भले ही मिल गई है लेकिन महज इतने भर से कोरोना जैसी महामारी के खात्मे की उम्मीद कर लेना,दिन में तारे देखने जैसा ही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO से लेकर देश व दुनिया के तमाम डॉक्टर दोहरा रहे हैं कि कोरोना न तो कोई सामान्य बुखार है और न ही वैक्सीन इसका पुख्ता व माकूल इलाज है. यह ठीक है कि संक्रमण को कुछ हद तक नियंत्रित करने में वैक्सीन कारगर साबित हो रही है लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने सवा साल बीत जाने के बाद भी यह दावा नहीं किया है कि उसने कोरोना पर पूरी तरह से काबू पा लिया है. लिहाजा,पूरी दुनिया में आज भी मास्क लगाने, उचित दूरी बनाए रखने व बार-बार हाथ धोने को ही कोरोना के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार माना जा रहा है.


हालांकि वैक्सीन की कमी से जूझ रहे भारत को रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक वी के मिल जाने से कुछ राहत तो मिलेगी लेकिन इसमें भी अभी करीब दो महीने का वक़्त लग सकता है. ऐसे में, वैक्सीन को लेकर कई राज्यों में मची अफ़रातफ़री फ़िलहाल खत्म होती नहीं दिखती. केंद्र सरकार के अनुसार जुलाई अंत तक देश की 'प्राथमिकता सूची' के 25 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना है. जबकि अब तक 10 करोड़ से कुछ ज्यादा लोगों को ही पहले से स्वीकृत दो टीकों की ख़ुराक मिल पाई है. इसलिये विशेषज्ञों का मानना है कि देश में टीकाकरण की गति उम्मीद से बहुत धीमी है. ऐसे में यह लक्ष्य तभी हासिल हो सकता है जब यह मुहिम और तेज़ हो. गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से देश के कई राज्य वैक्सीन की कमी की शिकायत कर रहे हैं. वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण के कई केंद्रों को बंद भी करना पड़ा.


विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के प्रमुख टेड्रॉस एडहॉनम गीब्रिएसुस ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठा कर कुछ महीनों में कोरोना महामारी पर क़ाबू तो पाया जा सकता है लेकिन ये “वायरस अभी जाने वाला नहीं है.” उनके मुताबिक अब तक वैश्विक स्तर पर कोरोना वैक्सीन के 78 करोड़ डोज़ लगाए जा चुके हैं लेकिन ये महामारी अभी ख़त्म होने से कोसों दूर है. दिसंबर, 2019 में चीन के वुहान से फैलना शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में अब तक 13.65 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है और 2,944,500लोगों की जान ले चुका है.


दुनिया के कई देशों का आकलन करने के बाद WHO ने पाया कि जनवरी और फरवरी में लगातार छह सप्ताह तक कोरोना के मामलों में कमी आती रही. लेकिन बीते सात सप्ताह से संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और बीते चार सप्ताह से मौतों की संख्या भी काफी बढ़ गई है. बीते सप्ताह कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड मामले दर्ज किए गए थे. भारत समेत एशिया और मध्यपूर्व के कई देशों में संक्रमण के मामलों में तेज़ी से उछाल आया है.


WHO का भी यही मानना है कि महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन शक्तिशाली हथियार ज़रूर है लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल इसी हथियार से महामारी को हराया जा सकता है. उन्होंने कहा, “सोशल डिस्टेन्सिंग, मास्क लगाना और बार-बार हाथ धोना और हवादार जगह में रहना- महामारी के ख़िलाफ़ ये सब भी काम करते हैं. साथ ही सर्विलांस, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, आइसोलेशन और समझदारी से एक दूसरे का ख़याल रख कर भी हम कोरोना संक्रमण को रोक सकते हैं और ज़िंदगियां बचा सकते हैं.” उन्होंने कहा कि महामारी को लेकर कोताही बरती जा रही है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उठाए गए कदमों में समानता नहीं है, इस कारण संक्रमण के मामलों में तेज़ी आ रही है और लोगों की जान जा रही है.


उन्होंने कहा, “जो इसके संक्रमण से ठीक हुए हैं, उनमें इस बीमारी के क्या दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, इस बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है. कुछ लोगों को लगता है कि वो युवा है और उन्हें कोविड-19 हो जाए तो कई फर्क नहीं पड़ेगा.“ देश की ड्रग नियामक संस्था ने माना है कि रूस में विकसित कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक V सुरक्षित है. यह वैक्सीन ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की तरह ही काम करता है. साइंस जर्नल 'द लैंसेंट' में प्रकाशित आख़िरी चरण के ट्रायल के नतीजों के अनुसार स्पुतनिक V कोविड-19 के ख़िलाफ़ क़रीब 92 फ़ीसद मामलों में सुरक्षा देता है.