नई दिल्ली: अगले कुछ दिनों में भारत समेत पूरी दुनिया में लोग ईद मनाने वाले हैं लेकिन कोरोना के इस काल में वायरस के ख़तरे की वजह से भारत समेत दुनिया के ज़्यादातर देशों में धार्मिक स्थल बंद हैं. यहां तक कि सऊदी अरब में तो 23 मई से 5 दिन के लिए कर्फ्यू लगाया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों की मांग है कि ईद के मौक़े पर नमाज़ के लिए मस्जिदों और ईदगाह को खोल दिया जाए और यही मांग लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक वकील ने अदालत में अर्ज़ी दायर कर दी. दलील दी गई कि ज़ुमे की नमाज़ और ईद की नमाज़ जमात के साथ यानी सामूहिक तौर पर ही पढ़ी जा सकती है इसलिए मस्जिदों को एक घंटे के लिए खोला जाए. ये अपील तब जब तमाम मुस्लिम संगठन अपील और फत़वा जारी कर रहे हैं कि ईद की नमाज़ घर पर ही पढ़ी जाए लेकिन अदालत ने साफ़ कर दिया कि हर बात के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाना ठीक नहीं है और आप पहले यूपी सरकार के पास जाइए अगर वहां आपकी मांग खारिज होती है तो फिर हम सुनवाई करेंगे और अदालत के इसी आदेश से शुरू होता है योगी सरकार का धर्म संकट. अब सवाल है कि क्या योगी मस्जिदों में नमाज़ की मांग मानेंगे?
इलाहाबाद हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
ये मामला ईद की नमाज़ के लिए यूपी की मस्जिदों व ईदगाहों को एक घंटे खोले जाने की मांग को लेकर है जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर कोई राहत देने से इंकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि पहले राज्य सरकार से अनुरोध किया जाए और राज्य सरकार का अनुरोध खारिज होने या फिर अर्जी पेंडिंग होने पर ही हाईकोर्ट में अर्जी डालें. हाईकोर्ट ने कहा है कि सभी मांग के लिए सीधे हाईकोर्ट आना उचित नहीं है. हाईकोर्ट के वकील शाहिद अली सिद्दीकी की अर्जी पर हाईकोर्ट ने सीधे दखल देने से इंकार कर दिया है और हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अर्जी निस्तारित कर दी है.
बता दें कि हाईकोर्ट में डाली गई अर्जी में ईद की नमाज़ के लिए प्रदेश के ईदगाहों व मस्जिदों को ईद के दिन एक घंटे खोले जाने की अनुमति देने की मांग की थी. ईद के साथ ही जून महीने तक जुमे के नमाज़ के लिए हर शुक्रवार को एक घंटे खोलने की भी इजाज़त की मांग की थी. इसके लिए दलील दी गई थी कि ईद व जुमे की नमाज़ जमात के साथ ही होती है. अगले हफ्ते ईद का त्योहार है और इस दिन लोगों को इबादत के लिए ईदगाह और मस्जिद जाने की अनुमति दी जाए, इस मांग को रखा गया था लेकिन हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि वो इस मामले में दखल नहीं देगी और सरकार के पास जाकर इस बात की अर्जी देनी होगी.
दरअसल लॉकडाउन 4.0 के दौरान भी धार्मिक स्थलों को बंद ही रखने का आदेश आया है और इसी के चलते ये मांग उठी है क्योंकि इसी महीने ईद का त्योहार है.
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