Prashant Kishor On Election: राजनीतिक रणनीतिकार से राजनीतिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने वैसे अब तक स्पष्ट रूप से नहीं कहा है कि वह या उनका संगठन चुनाव लड़ेगा या नहीं. लेकिन एक जिले में उनके समर्थकों के बीच कराये गये ऑपिनियन पोल में 95 फीसद से अधिक लोगों ने कहा कि 2024 में लोकसभा चुनाव में उन्हें उतरना चाहिए.


इस पोल के बाद इस बात को मजबूती मिली है कि वह चुनावी रण में उतर सकते हैं क्योंकि उन्होंने अक्सर कहा है कि उनकी पदयात्रा के साथी ही इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेंगे. वह बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं. आयोजकों ने बताया कि उनकी ‘जन सुराज पदयात्रा’ ने रविवार (8 जनवरी) को उनके समर्थकों के बीच पहला पोल कराया कि उन्हें संसदीय चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं. उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में जिन लोगों ने भाग लिया, वे पूर्वी चंपारण के लोग हैं.


नवंबर में जब अभियान ने पश्चिम चंपारण जिले में उनके समर्थकों के बीच, इस बात पर सर्वेक्षण कराया था कि इस अभियान को एक राजनीतिक दल का शक्ल लेना चाहिए या नहीं, तब 2887 में से 2808 लोगों (करीब 97प्रतिशत) ने प्रशांत किशोर का समर्थन किया था.


प्रशांत किशोर के समर्थक क्या चाहते हैं


एक कदम आगे बढ़ते हुए आयोजकों ने अब इस अभियान के समर्थकों की राय मांगी कि क्या उसे लोकसभा चुनाव अब लड़ना चाहिए या नहीं , जो इस बात का संकेत है कि आई-पीएसी संस्थापक किशोर अगले साल के चुनाव में उतरने के विचार पर आगे बढ़ रहे हैं.


उसके आयोजकों ने कहा कि पूर्वी चंपारण में 98 प्रतिशत से अधिक समर्थकों ने राजनीतिक दल बनाने का समर्थन किया है, जबकि 3691 व्यक्तियों में से 3515 यानी 95 फीसद से अधिक चाहते है कि यह अगला लोकसभा चुनाव लड़ें.


अभियान से जुड़े लोग ही तय करेंगे 


सर्वेक्षण में करीब 50 फीसद लोगों ने बेरोजगारी एवं प्रवासन को बिहार की सबसे बड़ी समस्याएं माना है, जबकि 33 फीसदी ने कहा कि भ्रष्टाचार सबसे गंभीर समस्या है. उनमें 17 फीसद से अधिक लोगों ने, किसानों की निर्धनता को इस बहुत ही निर्धन राज्य के सामने सबसे बड़ी समस्या माना. किशोर कह चुके हैं कि इस अभियान से जुड़े लोग ही तय करेंगे कि वर्तमान अभियान को राजनीतिक रूप लेना चाहिए और चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं.


सीएम नीतीश के आलोचक रहे हैं प्रशांत


प्रशांत किशोर कई राजनीतिक दलों के लिए एक सफल रणनीतिकार का काम कर चुके हैं. प्रशांत किशोर अपनी पूरी यात्रा के दौरान बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार के आलोचक रहे हैं. प्रशांत किशोर कि यह पदयात्रा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को बेतिया से शुरू हुई थी. 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद किशोर ने कहा था कि वह अब किसी राजनीतिक दल के चुनावी प्रबंधन का हिस्सा नहीं होंगे.


ये भी पढ़ें: Kanjhawala Case: टक्कर मारने के 2 मिनट बाद ही नीचे उतरे थे 2 लोग, फिर गाड़ी के नीचे देखा और...