नई दिल्ली: पिछले साल 24 नवम्बर को संसद के शीतकालीन सत्र की तारीखों पर फैसला करने के लिए संसदीय मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार मीडिया से मुखातिब हुए थे. उस दौरान उन्होंने कहा था कि तीन तलाक खत्म करने और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले बिल को पारित करवाना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी.
संसद का शीतकालीन सत्र आज खत्म हो गया लेकिन सरकार की झोली खाली है. दोनों ही बिल संसद से पारित नहीं हो सके.
तीन तलाक़ बिल अटका
सबसे पहले बात त्वरित तीन तलाक़ खत्म करने वाले बिल की. मोदी सरकार ने जिस तरह से इस बिल पर अपना दांव खेला उसे देख कर लग रहा था कि इस बिल को पारित करवाने के लिए सरकार ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगी. सरकार ने जोर लगाया भी लेकिन उसके हाथ खाली रह गए. 28 दिसंबर को बिल लोक सभा में पेश होने के बाद सरकार के बहुमत के चलते पारित तो हो गया लेकिन राज्य सभा में सरकार बहुमत की चुनौती पार नहीं कर पाई.
लोकसभा में अपने रूख़ से उलट कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने अड़ंगा लगा दिया. राज्य सभा में संख्या बल में कमज़ोर सरकार कुछ नहीं कर पाई. सरकार अब बिल को राज्य सभा में पारित नहीं हो पाने के लिए कांग्रेस पर निशाना साध रही है.
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के मुताबिक, "राहुल गांधी बात तो महिला सशक्तिकरण की करते हैं लेकिन तीन तलाक़ ख़त्म करने वाले बिल को किसी न किसी बहाने से रोक दिया".
वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि वोट बैंक की राजनीति के चलते ही राहुल गांधी और कांग्रेस ने लोकसभा और राज्यसभा में अलग-अलग स्टैंड लिया.
तीन तलाक़ बिल की जगह अध्यादेश ?
राज्य सभा में तीन तलाक बिल फ़ंसने के बाद ऐसी अटकलें भी लगने लगी थी कि सरकार इसकी जगह एक अध्यादेश ला सकती है. लेकिन सरकार ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि अगला सत्र भी जल्द शुरू होने वाला है.
दरअसल बजट सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होकर दो भागों में 6 अप्रैल तक चलेगा. पहला भाग 29 जनवरी से 9 फरवरी जबकि दूसरा भाग 5 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा. पिछले साल की तरह आम बजट 1 फरवरी को पेश होगा. संसद सत्र की तारीख़ों के ऐलान के बाद असाधारण परिस्थितियों में ही अध्यादेश लाने की परंपरा रही है.
पिछड़ा वर्ग आयोग बिल भी फंसा
तीन तलाक के उलट राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज़ा देने वाले बिल को पारित नहीं करवाया जाना सरकार की असफलता मानी जाएगी. इस बिल को लेकर जो विवाद था उसे पहले ही काफ़ी हद तक सुलझा लिया गया था लेकिन सरकार इसे भी पारित नहीं करवा पाई.
क्या हुआ सत्र के दौरान?
सत्र के दौरान 13 बैठकें हुईं, लोक सभा में जहां 91.58 फीसदी समय काम हुआ वहीं राज्य सभा में हंगामे और गतिरोध के चलते 56.29 फीसदी ही काम हो सका. इस दौरान 13 ऐसे बिल रहे जो दोनों सदनों में पारित किए गए जबकि लोक सभा में 13 और राज्य सभा में 9 बिल पारित.
जो बिल दोनों सदनों में पारित हुए उनमे जीएसटी से जुड़ा संशोधन और Insolvency & Bankruptcy Code में संशोधन से जुड़ा बिल शामिल है. इस दौरान लोकसभा में 17 नए बिल भी पेश किए गए. अनंत कुमार ने सत्र को सफ़ल क़रार देते हुए कहा है कि तमाम गतिरोधों और व्यवधानों के बावजूद सत्र में काम हुआ.