नई दिल्ली: आज राज्यसभा में तीन संशोधनों के साथ तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अगर ये बिल राज्यसभा से पास हो जाता है तो मानसून सत्र की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाई जा सकती है. यानि मानसून सत्र 13 अगस्त तक बढ़ाई जा सकती है. ये बिल आज चर्चा के लिए लाया जाएगा. बिल के प्रावधानों का विरोध कर रहे विपक्ष दल इसपर जमकर हंगामा कर सकते हैं. बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है. इसी को भांपते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोनिया गांधी पर हमला करते हुए पूछा कि कांग्रेस बिल का समर्थन करेगी या नहीं ? तीन तलाक़ बिल लोकसभा में पारित होने के बाद विरोध के चलते राज्यसभा में लंबित पड़ा है.


किन संशोधनों के साथ आया बिल?
गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने संसद में लंबित तीन तलाक़ बिल में तीन अहम बदलाव को मंज़ूरी दे दी. इसके मुताबिक अपराध अब सिर्फ पत्नी या उसके खून के रिश्तेदार या ससुराल पक्ष के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. इससे पड़ोसी या अन्य रिश्तेदार एफआईआर नहीं करवा सकते.


दूसरे बदलाव के मुताबिक अगर पति और पत्नी मजिस्ट्रेट के सामने समझौते के लिए तैयार हों तो मजिस्ट्रेट समझौता कबूल कर सकता है यानि समझौते की गुंजाइश छोड़ी गई है. इसमें मजिस्ट्रेट जुर्माना तय करेगा. तीसरे बदलाव के मुताबिक तीन तलाक़ के आरोपी को पत्नी का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट ज़मानत दे सकता है, थाने से जमानत नहीं मिलेगी.


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सोनिया गांधी नारी न्याय के लिए खड़ी होगीं? कानून मंत्री
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कह, ''कांग्रेस का इस बात पर विरोध बेमतलब है कि बार-बार पति जेल जाएगा तो घर में कौन कमाने वाला रहेगा. दहेज उत्पीड़न कानून, घरेलू हिंसा मामले में भी तो मुसलमान पति जेल जाता है, उस पर कांग्रेस पार्टी सवाल क्यों नहीं पूछती है. कांग्रेस पार्टी इस सवाल पर अपना रुख स्पष्ट करे. देश की बड़ी नेता हैं.''


रविशंकर प्रसाद ने कहा, ''सोनिया गांधी देश की बड़ी नेता हैं, उनके पास विरासत है जिसका वे बार-बार जिक्र करती हैं. क्या नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी सम्मान के लिए आप खड़ी होंगी या नहीं होंगी. कांग्रेस पार्टी इस बिल का विरोध करती रहेगी?''


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कोर्ट के फैसले के बाद 160 केस आए
कानून मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिसंबर तक तीन तलाक के 160 केस आए. मंत्री के मुताबिक 2017 में कुल 389 केस आए, इनमें 229 केस जनवरी से अगस्त के बीच आए. मंत्री ने कहा कि आंकड़ों से साफ है कि गैरकानूनी बताने के बाद भी कानून जरूरी है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कानून बनाए सरकार
सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल अगस्त के महीने में पांच जजों की बेंच ने एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया था. तीन-दो के बहुमत से आए इस फैसले ने सरकार ने इसके खिलाफ कानून बनाने को कहा था. पांच जजों  की बेंच इसपर एकमत नही थी. दो जज इसे पूरी तरह खारिज करने के पक्ष में नही थे. उनका मत था कि ये अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है. लेकिन 3 जजों ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंधन माना इसलिए बहुमत से ये गैरकानूनी करार दिया गया.


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