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इंदु मल्होत्रा के रिटायरमेंट के साथ सुप्रीम कोर्ट में रह गई सिर्फ एक ही महिला जज, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने जताई चिंता
जस्टिस इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में जज के पद पर सीधी नियुक्ति पाने वाली पहली महिला वकील थी. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "कोर्ट का सदस्य होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है कि, हमारे श्रेत्र में आगे से महिलाओं को उतनी कठिनाई का सामना ना करना पड़े जितना जस्टिस इंदु मल्होत्रा को करना पड़ा."
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शनिवार को जस्टिस इंदु मल्होत्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अब केवल एक महिला न्यायाधीश ही रह गयी है. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए आत्मावलोकन करने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट के यंग लॉयर्स फोरम द्वारा जस्टिस इंदु मल्होत्रा के सम्मान में आयोजित एक विदाई समारोह में उन्होंने ये बात कही.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "जस्टिस मल्होत्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट की पीठ में केवल एक ही महिला न्यायाधीश रह गयीं हैं. एक संस्था के तौर पर, ये बेहद ही चिंता का विषय है और इसका आवश्यक तौर पर गंभीर आत्मावलोकन करने की जरूरत है."
अदालतों में विविधता से जागेगा लोगों का विश्वास
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘एक संस्था के तौर पर, हमारे फैसलों से भारत के हर नागरिक पर असर पड़ता है, हमें इस विषय पर बेहतर कार्य करने की जरुरत है." उन्होंने कहा, "हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि, हमारी अदालतों की रूपरेखा देश की विविधता की झलक हो. विविधताओं से भरी न्यायपालिका ही इसके प्रति लोगों में विश्वास जगाने का एक बेहतर समाधान है और हमें हर हाल में इस लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए."
कोर्ट में पेशेवर आचरण बेहद जरुरी
इस अवसर पर जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा, "एक वकील के तौर पर कोर्ट में पेशेवर आचरण के उच्च स्तर को बनाए रखना बेहद जरुरी है. आपको अपनी वेशभूषा के साथ साथ ये भी सुनिश्चित करना होता है कि आप समय के पाबंद हो."
उन्होंने कहा, "मैंने न्यायाधीश बनने के बाद बार कक्ष में महिला वकीलों द्वारा बुलाए जाने के बाद एक मुद्दा उठाया था. मैंने कहा था कि कृपया फैशनेबल कपड़े नहीं पहनिये, उसे आप शाम के लिए रखिए, ना कि काम पर आने के लिए. आपको अवश्य ही पेशे के अनुरूप कपड़े पहनने चाहिए. साथ ही आपको याचिका को स्पष्ट रूप से और संक्षेप में लिखना जरूर सीखना चाहिए."
जस्टिस मल्होत्रा ने 27 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश के तौर पर पदभार ग्रहण किया था. उन्होंने ऐतिहासिक सबरीमला मंदिर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में असहमति वाला अपना फैसला सुनाया था. इसके अलावा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए थे.
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