भारत में महिलाएं पुरुषों की तुलना में लगभग तीन साल से ज्यादा समय तक जिंदा रह सकती है, लेकिन अगर उनके स्वस्थ जीवन की बात की जाए तो पुरुष और महिला के बीच का ये अंतर लगभग खत्म हो जाता है. इस विषय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये वैश्विक घटना स्वास्थ्य देखभाल में कमी और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देने के कारण हो सकती है.


हाल ही में जारी हुई विश्व स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्तर पर महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन पांच साल ज्यादा जीने की उम्मीद कर सकती हैं, लेकिन जब स्वस्थ जीवन जीने की बात आती है, तो ये अंतर खत्म हो जाता है.


कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है कि स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान ने बुढ़ापे की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए उम्र बढ़ने को धीमा करके स्वस्थ रहने के बजाय जीवन को लंबा करने पर ध्यान केंद्रित किया है. वहीं कम विकसित देश अभी भी जीवन बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वास्तव में कई देशों ने जीवन प्रत्याशा की तुलना में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा में ज्यादा सुधार दर्ज किया है.


इन देशों में ज्यादा है स्वस्थ जीवन प्रत्याशा


जीवन प्रत्याशा तालिका के 30 देशों में से अकेले जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 73 से ज्यादा है. जीवन प्रत्याशा वर्तमान में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, वहीं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के गाय ब्राउन ने 2014 में एक बुक 'लिविंग टू लॉन्ग' में बताया था, कि मृत्यु के कारणों से जब उम्र बढ़ती है तो उम्र से संबंधित रोग भी बढ़ते हैं.


जीवन प्रत्याशा, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के अंतर को कम करने की कोशिश


इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक डॉ केएस जेम्स ने बताया कि जीवन प्रत्याशा और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा के बीच के अंतर को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही कहा कि समय के साथ हम निश्चित रूप से इस अंतर को कम कर सकेंगे.


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