नई दिल्ली: नक्सलियों के खिलाफ सीआरपीएफ की स्पेशल कोबरा बटालियन में पहली बार महिला कमांडोज़ को शामिल किया गया है. सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट को जंगल वॉरफेयर में महारत हासिल है. पहली महिला प्लाटून में कुल 34 महिला कमांडोज़ को शामिल किया गया है. खास बात ये है कि ये सभी 34 महिलाएं स्वेच्छा से कोबरा यूनिट में शामिल हुई हैं.


शनिवार को राजधानी दिल्ली के करीब, गुरूग्राम के कादरपुर स्थित सीआरपीएफ सेंटर में इस महिला कमांडो प्लाटून को कोबरा (सीओबीआरए यानि कमांडो बटालियन फॉर रेज़ोलियूट एक्शन) में शामिल किया गया. इस मौके पर सीआरपीएफ के महानिदेशक, डॉक्टर ए पी महेश्वरी और वरिष्ट अफसरों की मौजूदगी मे इन महिला कमांडोज़ ने प्री-इंडक्शन ट्रेनिंग का नमूना दिखाया. इस प्रदर्शन में महिला कमांडोज़ ने आंखों पर वट्टी बांधकर वैपन-हैंडलिंग, फील्ड-क्राफ्ट ड्रिल, आग के ऊपर से जंप करने से लेकर शारीरिक-क्षमता और सामरिक-कौशल का परिचय दिया.


इस मौके पर बोलते हुए सीआरपीएफ की डीजी ने बताया कि इस प्लाटून को कोबरा यूनिट में शामिल जरूर किया गया है, लेकिन अभी इन्हें तीन महीने की कड़ी ट्रेनिंग से और गुजरना होगा. ये ट्रेनिंग ठीक वैसी ही होगी जैसाकि पुरूष कमांडोज़ को दी जाती है. तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद इन कोबरा कमांडोज़ को एलडब्लूई यानि लेफ्ट विंग एक्सट्रेमिज़्म वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा. इन एलडब्लूई वाले इलाकों में छत्तीसगढ़ और झारखंड भी शामिल है.


डीजी के मुताबिक, पिछले साल गुजरात के केवड़िया में सरदार पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सीआरपीएफ की महिला-जवानों ने वैपन-हैंडलिंग का जो प्रदर्शन किया था उससे प्रेरित होकर ही कोबरा यूनिट में महिला कमांड़ोज को शामिल करने की तैयारई की गई थी. उन्होनें कहा कि अब समय आ गया है कि सीआरपीएफ में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. वे अब दुनिया के सबसे बड़े केंद्रीय पुलिसबल में किसी भी कार्य और चुनौती से लड़ने के लिए तैयार हैं.


डॉक्टर माहेश्वरी के मुताबिक, सीआरपीएफ की महिला-जवानों ने खुद कोबरा यूनिट में शामिल होने का आग्रह किया था. अभी सीआरपीएफ में पांच महिला बटालियन हैं और कोबरा की नई बटालियन मिलाकर कुल छह (06) हो जाएंगी. इनमें से एक बस्तरिया (छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर इलाके के नाम पर) बटालियन भी शामिल है.


खास बात ये है कि कोबरा यूनिट में पहली महिला प्लाटून को उस दिन शामिल किया गया जब सीआरपीएफ की पहली महिला बटालियन (88वीं बटालियन) का 35वीं स्थापना दिवस था. सीआरपीएफ एशिया का पहला ऐसा केंद्रीय पुलिसबल था जिसनें महिलाओं को शामिल किया था.


एबीपी न्यूज से खास बातचीत में महिला कोबरा कमांडोज़ ने बताया कि वे खुद जंगल में जाकर नक्सलियों से लड़ना चाहती हैं. क्योंकि, जब महिला नक्सली और आतंकी हो सकती हैं तो उनसे लड़ने के लिए सीआरपीएफ की महिला-जवान क्यों पीछे रहें. वे दुश्मन का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यहां तक कोबरा यूनिट की कड़ी  ट्रेनिंग वे अपने पुरूष कमांडोज़ के साथ करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.


गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे एलडब्लूई इलाकों में जो नक्सली और माओवादी‌ संगठन सक्रिय हैं, उनमें महिला कैडर भी हैं. इसके अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों में आईईडी ब्लास्ट का खतरा हमेशा बना‌ रहता है, जो सीआरपीएफ के लिए एक बड़ी चुनौती है.


सीआरपीएफ के आंकडों के मुताबिक, पिछले साल यानि 2020 में एलडब्लई इलाकों में कुल 21 माओवादियों को ढेर किया गया और 569 को गिरफ्तार किया गया. इस अवधि में 340 माओवादियों ने सरेंडर भी किया. इसके अलावा शनिवार को सीआरपीएफ ने एक इतिहास रचा है. सीआरपीएफ ने दुनिया का पहला पुलिस या फिर सेना के ब्रास-बैंड का इतिहास‌ रचा है.


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