लॉकडाउन के दौरान झोपड़ों में बंद बच्चों की मददगार बनी ये हेल्पिंग टीम
मजदूरों के इन बच्चों को मास्क, किताब, कपड़े और गाने की ट्रेनिंग देकर इनकी मदद कर रही है महिलाओं की हेल्पिंग टीम.
मुंबई के मीरा भायंदर इलाके में पूरे लॉकडाउन के दौरान एक्टिव है. महिलाओं की एक टीम जिसका नाम है हेल्पिंग टीम. पूरे लॉकडाउन के दौरान इस टीम ने उन गरीब मजदूरों के बच्चों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है जो झोपड़ी वाले घरो में बंद हैं कोरोना से कैसे बचा जाए कोरोना से बचने के क्या उपाय हैं और कैसे घरों पर ये बच्चे रहे, कैसे खेले क्या पढ़ें, इसकी पूरी जिम्मेदारी ली हेल्पिंग टीम ने ली और इन बच्चों को ट्रेनिंग दी.
इन बच्चों की मदद के लिए जब भी ये टीम जाती है, छोटे-छोटे बच्चे अपने घरों से निकल आते हैं. इन बच्चों के चेहरे पर मास्क होता है. एक पूरी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ये बच्चे लाइन से रोड के किनारे खड़े हो जाते हैं और फिर इन्हें प्रार्थना करने के लिए कहा जाता हैं. सभी बच्चे एक साथ गाते हैं. इस गाने को हेल्पिंग टीम ने ही इन्हें सिखाया है.
परिवार भी संभालती हैं हेल्पिंग टीम से जुड़ी ज्यादातर महिलाएं इस हेल्पिंग टीम को चलाती है दीपा सूर. दीपा सूर को भी गाने का शौक है और वह इवेंट मैनेजमेंट का भी काम करती हैं .दीपा सूर ने जब इन बच्चों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया तो उनके साथ और भी महिलाएं जुड़ती गई. पूरे लॉकडाउन के दौरान हेल्पिंग टीम के इन सदस्यों ने तमाम लोगों की मास्क, दवाइयां डायपर जैसी चीजों से तो मदद की है लेकिन सबसे ज्यादा इनको इन मजबूर मजदूरों के बच्चों की मदद करने में मजा आया, जो पूरे लॉकडाउन के दौरान अपने छोटे से घर में बंद है. उन्हें नहीं पता कि करोना क्या है और करोना महामारी से कैसे बचा जा सकता है लेकिन हेल्पिंग टीम की इन महिलाओं ने इन बच्चों को ट्रेनिंग दी.
हेल्पिंग टीम से जुड़ी ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार को भी संभालती हैं और समाज सेवा से जुड़े इन कार्यों के लिए भी समय निकालती हैं. समय निकालकर वह गरीब बच्चों के पास आती हैं इन्हें पढ़ाती भी हैं इन्हें होमवर्क भी देती हैं और समय-समय पर आकर उसकी जांच भी करती हैं. इस सामाजिक कार्य में जुड़ी इन महिलाओं की माने तो जब इन गरीब बच्चों के चेहरे पर वह मुस्कान देखती हैं और उन्हें एक संस्कार के साथ उनके अंदर बौद्धिक विकास का एहसास करती हैं तो उन्हें अपनी मेहनत सफल नजर आती है.ये भी पढ़ें-
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