नई दिल्ली: देश में 92 प्रतिशत महिलाएं 10 हजार से कम की सैलरी पर नौकरी करती हैं तो वहीं, 82 फीसदी पुरुष भी 10 हजार से कम की तनख्वाह पर नौकरी करने को मजबूर हैं. इसका खुलासा हाल ही में जारी किए गए एक अध्ययन से हुआ है. अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने श्रम ब्यूरो के पांचवीं वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-2016) के आधार पर स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया- 2018 नाम की एक रिपोर्ट तैयार की है. इसी रिपोर्सेट से देश में नौकरी करने वाले पुरुष और महिलाओं की खराब आर्थिक स्थिति के बारे में पता चला है.


इस रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर 67 प्रतिशत परिवारों की मासिक आमदनी 10,000 रुपये थी जबकि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) ने  न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह कर दी है. इससे साफ होता है कि भारत में एक बड़े तबके को मजदूरी के रूप में उचित भुगतान नहीं मिल रहा है.


इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अमित बसोले ने बताया, "ये आंकड़े देश स्तर पर श्रम ब्यूरो के पांचवीं वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण (2015-2016) पर आधारित है". उन्होंने कहा, "मेट्रो शहरों में इसकी स्थिति अलग होगी क्योंकि गांवों और छोटे शहरों की तुलना में इन शहरों में महिलाओं और पुरुषों की आमदनी अधिक है."


रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की गई है कि विनिर्माण क्षेत्र में 90 प्रतिशत मजदूरों को न्यूनतम वेतन से भी नीचे की मजदूरी का भुगतान किया जाता है. असंगठित क्षेत्र की हालत और भी ज्यादा खराब है. स्टडी के मुताबिक तीन दशकों में संगठित क्षेत्र की उत्पादक कंपनियों में श्रमिकों की उत्पादकता छह प्रतिशत तक बढ़ी है, जबकि उनके वेतन में मात्र 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.


शिक्षित युवाओं की देश में हालत पर अमित बसोले का कहना है, "आज की स्थिति निश्चित रूप से काफी खराब है. खासकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में. हमें उन कॉलेजों से बाहर आने वाले बड़ी संख्या में शिक्षित युवाओं का बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है."


रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-16 के दौरान भारत की बेरोजगारी दर पांच प्रतिशत थी जबकि 2013-14 में यह 4.9 फीसदी थी. अध्ययन में इस बात को भी स्पष्ट किया गया है कि बेरोजगारी दर शहरी क्षेत्रों (4.9 फीसदी) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (5.1 फीसदी) नें मामूली रूप से अधिक है.


रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर अधिक है. राष्ट्रीय स्तर पर महिला बेरोजगारी दर जहां 8.7 प्रतिशत है वहीं पुरुषों के बीच यह दर चार प्रतिशत है. काम में लगे हुए व्यक्तियों में से अधिकांश व्यक्ति स्वयं रोजगार में लगे हुए हैं. राष्ट्र स्तर पर 46.6 प्रतिशत श्रमिकों खुद रोजगार में लगे हुए हैं, इसके बाद 32.8 प्रतिशत सामयिक मजदूर हैं. इस स्टडी के मुताबिक भारत में केवल 17 प्रतिशत व्यक्ति वेतन पर कार्य करते हैं और शेष संविदा कर्मी हैं.