नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर अपना डेरा बनाया हुआ है. हालांकि पंजाब से दिल्ली आए किसानों को बुराड़ी के निरंकारी मैदान पर प्रदर्शन की अनुमति दी गई है. धीरे-धीरे कुछ संगठन निरंकारी मैदान में इकट्ठा हो भी रहे हैं, वहीं कुछ महिलाओं ने आदिवासी नृत्य कर अपना विरोध जताया.


महराष्ट्र से नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले आई लतिका राजपूत एक एक्टिविस्ट है उन्होंने आईएएनएस को बताया, "महाराष्ट्र में इस नृत्य को किया जाता है. ये नृत्य खुशी के मौके पर किया जाता है. हमें यूपी बॉर्डर पर रोक रखा हुआ था. कल फैसला हुआ कि हम दिल्ली जा रहे हैं, वो हमारे लिए खुशी का मौका था. इसी खुशी में हमने ये नृत्य कर रहे हैं. इस नृत्य को शिबली नृत्य कहा जाता है और ये विभिन्न राज्यो में आदिवासी लोग करते हैं."


"हम लोगों का दिल्ली पहुंचने का मिशन था"
गुजरात से लोकसंघर्ष मोर्चा गुजरात के बैनर तले आए रतिलाल पानयभाई ने बताया, "23 तारीख से निकले हुए हैं, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान और यूपी के बॉर्डर पर हमे 25 तारीख से 27 नवंबर तक रोका हुआ था. हमें नेशनल हाईवे 3 पर पुलिस ने रोकने के बाद कल आने दिया था. हम लोगों का दिल्ली पहुंचने का मिशन था. किसान अन्नदाता है, देश दुनिया को खिलाते है. हमारा रोजगार छिन जाएगा तो दुनिया क्या खाएगी."


मध्यप्रदेश से नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले आए छोटू अलोने ने आईएएनएस को बताया, "किसान विरोधी बिल के खिलाफ यहां आए हैं किसान अगर अनाज पैदा नहीं करेगा तो लोगों को कैसे खिलाएगा. हर जरूरत की चीज किसान से जुड़ी हुएं हैं. 24 नवंबर को निकले थे, हमें बॉर्डर पर रोक दिया गया, हमारी मांगे जब तक पूरी नहीं होगी तब तक हम यहां से नहीं हिलेंगे."


दिल्ली टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान अभी भी पर जमे हुए हैं. कई किसान संगठन इस वक्त बुराड़ी के निरंकारी मैदान में मौजूद है और अपने गाड़ियों और ट्रैक्टरों में किसान सोए हुए हैं और खाने की व्यवस्था भी खुद ही करते नजर आ रहे हैं.


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